वाशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के काफी अवसर हैं। एक शीर्ष भारतीय- अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ये अवसर न केवल प्राकृतिक संसाधनों के व्यापार में हैं बल्कि एक- दूसरे के वित्तीय क्षेत्रों से फायदा उठाने से भी संबंधित हैं। फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमिशन( एफईआरसी) के सदस्य नील चटर्जी ने भारत के पहले दौरे से लौटने के बाद कहा कि आने वाले दशकों में भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में काफी धन कमाया जा सकता है।
एफईआरसी के पहले भारतीय- अमेरिकी सदस्य चटर्जी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वहां अमेरिका के लिए द्विपक्षीय तरीके से काम करने के वास्तविक अवसर हैं, और ये अवसर न केवल हमारे ईंधन बेचने के लिए हैं बल्कि प्रौद्योगिकी और पूंजी मुहैया कराने के लिए भी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय ग्रिडों के आधुनिकीकरण के लिए ऊर्जा उत्पादन, पारेषण एवं वितरण में280 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।’’ उन्होंने दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को द्विपक्षीय जरूरत बताते हुए कहा कि अमेरिका को भारत के अनुभव से भी काफी कुछ सीखने की जरूरत है।
चटर्जी ने भारत सरकार एवं राज्यों की महत्वाकांक्षी ऊर्जा नीति लक्ष्यों का जिक्र करते हुए कहा कि एफईआरसी केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग तथा ऊर्जा नीति योजनाओं के क्रियान्वयन के भारतीय सरकार के तरीकों से सीखने को उत्सुक है। चटर्जी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन प्राकृतिक गैस उत्पादन बढ़ाने के भारतीय प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।