उत्तरकाशी निवासी नावीद कुरैशी ने याचिका दायर कर कहा है कि वह हिना गांव, थाना क्षेत्र मनेरी का निवासी है। जिला पंचायत से लाइसेंस लेकर 2006 से 2015 तक किराए के मकान में मटन की दुकान चला रहा है। फिर 2016 में भूमिधरी होने की वजह से अपनी दुकान बनाकर मटन का कारोबार किया।
हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी में गंगा तट से 500 मीटर दायरे में मांस की दुकानें खोलने और मांस बेचने पर प्रतिबंध को सही ठहराया है। कोर्ट ने इसी मामले में यह भी कहा है कि जिला पंचायत और निकायों को नियम बनाने का अधिकार है। न्यायालय ने साफ किया है मामले में मटन की दुकान चलाने के लिए जिला पंचायत या जिला मजिस्ट्रेट से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
2016 में उत्तरकाशी जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने नोटिस देकर सात दिन के भीतर गंगा तट से 105 मीटर दूर होने के आधार पर दुकान स्थानांतरित करने को कहा। इस नोटिस को याचिका के माध्यम से चुनौती दी। उनका कहना था कि खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत उसे लाइसेंस प्राप्त है।
जिला पंचायत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जिला पंचायत को उप नियम बनाने का अधिकार है।