बल्लीवाला फ्लाईओवर की होगी कायापलट

देहरादून। आखिरकार लोनिवि की राजमार्ग यूनिट बल्लीवाला फ्लाईओवर के मामले में उसी राह पर आगे बढ़ती दिख रही जिस राह को उसने वर्ष 2013 में पीछे छोड़ दिया था। राजमार्ग अधिकारी अब बल्लीवाला फ्लाईओवर को फोर लेन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसकी फिजिबिलिटी स्टडी के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति भी कर दी गई है। हालांकि यह कवायद हाईकोर्ट के आदेश के बाद तब की जा रही है, जब इस संकरे दो लेन फ्लाईओवर पर 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले बल्लीवाला फ्लाईओवर को फोर लेन में तब्दील करने या यहां पर डबल ब्रिज की संभावना तलाशने को कहा था। इसके लिए अधिकारियों को तीन माह का समय दिया गया है। हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में फोर लेन या डबल ब्रिज की फिजिबिलिटी स्टडी के लिए राजमार्ग यूनिट ने कंसल्टेंट की नियुक्ति को टेंडर आमंत्रित किए थे। टेंडर खुलने के बाद कंसल्टेंसी की जिम्मेदारी टेक्निकल कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) कंपनी को दी गई है।

कंपनी को फिजिबिलिटी स्टडी की रिपोर्ट देने के लिए 29 अप्रैल तक का समय दिया गया है। अभी धरातलीय अध्ययन होना बाकी है, मगर राजमार्ग अधिकारियों के साथ कंपनी प्रतिनिधियों की मंत्रणा में यह बात निकलकर आई कि सबसे उपयुक्त विकल्प फ्लाईओवर को फेर लेन में तब्दील करना रहेगा। क्योंकि डबल ब्रिज में कई तरह की धरातलीय व तकनीकी अड़चन आने का आकलन किया गया है।

दायीं तरफ से बढ़ेगी चौड़ाई 

राजमार्ग के मुख्य अभियंता स्तर-प्रथम हरिओम शर्मा के मुताबिक बल्लीवाला फ्लाईओवर को दायीं तरफ के हिस्से (बल्लूपुर से आते हुए) को ही चौड़ा किया जा सकता है। क्योंकि बायीं तरफ मोड़ है और इस भाग को चौड़ा करने पर मोड़ भी उसी अनुपात में अधिक आकार ले लेगा। हालांकि पूरी तरह स्थिति तब स्पष्ट हो पाएगी, जब कंसल्टेंट कंपनी जमीन अधिग्रहण आदि का पूरा आकलन कर लेगी।

पहले नियम मानते तो न जाती जानें, न फजीहत होती 

-मार्च 2013 में अन्य फ्लाईओवर के साथ बल्लीवाला फ्लाईओवर का भी शिलान्यास किया गया।

-इसके करीब डेढ़ साल बाद मई 2014 में निर्माण की एनओसी केंद्र से ली गई। जबकि निर्माण से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत एनओसी लेनी जरूरी थी।

-फिर एनओसी के विपरीत फोर लेन की जगह दो लेन में निर्माण किया गया।

-जब भी मानकों के विपरीत काम करने की बात आई तो नोडल एजेंसी लोनिवि व निर्माण कंपनी ईपीआइएल के अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालते रहे।

-राष्ट्रीय राजमार्ग प्रशासक ने भी नियमों के विपरीत काम करने पर आंखें मूंद ली थीं।

-निर्माण कंपनी को यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट से पहले ही भुगतान किया जाता रहा। अफसरों का जोर मानकों की जगह किसी तरह काम पूरा करने पर रहा।

सेफ्टी ऑडिट हुआ, तब भी समझौता 

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर बढ़ते हादसों को देखते हुए दिसंबर 2017 में एडीबी व राजमार्ग अफसरों की संयुक्त टीम ने इसका सेफ्टी ऑडिट किया था। तब भी फ्लाईओवर की कम चौड़ाई व इसके मोड़ पर सवाल खड़े किए गए थे। हालांकि तब फोर लेन के विकल्प को दरकिनार कर दो लेन फ्लाईओवर को भी दो हिस्सों पर बांटने के निर्णय को अमलीजामा पहनाया गया।

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