देहरादून। देश की 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर सोमवार को उपचुनाव हुआ। इन सीटों में से सभी की नज़रें उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट और महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट पर बनी रही। वहीं पूरे दिन देश में कई जगह पर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में खराबी की खबरें आती रहीं।
इसको लेकर सोनिया गांधी विचार मंच के राष्ट्रीय महासचिव इमरान अहमद ने चुनाव आयोग की तैयारी पर सवाल उठाए। खबर केे अनुसार शाम पांच बजे तक यूपी की कैराना सीट पर 55 फीसदी, शामली सीट पर 45, थानाभवन पर 49, नकुड़ पर 49 और गंगोह सीट पर 47 फीसदी मतदान हो चुका था।
ईवीएम और वीवीपैट में खराबी की शिकायतों पर कांग्रेस नेता इमरान अहमद ने इसे बीजेपी की साज़िश करार दिया। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि जानबूझकर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों से हर जगह छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम और दलित बहुल इलाके में खराब ईवीएम को नहीं बदला गया, भाजपा को लगता है कि वे इस तरह चुनाव जीत सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हजारों ईवीएम में खराबी की शिकायतें दिनभर आती रही। किन्तु इस पर भी चुनाव आयोग मौन बना रहा। उन्होंने कहा कि ”किसान, मजदूर, महिलाएं और नौजवान भरी धूप में वोट डालने के लिए अपनी बारी के इंतजार में भूखे-प्यासे खड़े हैं। इमरान अहमद ने सवाल उठाया कि ये तकनीकी खराबी है या चुनाव प्रबंधन की विफलता, या फिर जनता को मताधिकार से वंचित करने की साजिश। इस तरह से तो लोकतंत्र की बुनियाद ही हिल जाएगी।”
बता दें कि आज यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की पालघर और गोंदिया के साथ नागालैंड में एक लोकसभा सीट के लिए मतदान हुआ। वहीं, यूपी की नूरपुर विधानसभा सीट के साथ बिहार, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को मिलाकर कुल 10 विधानसभा सीटों पर मतदान किया गया। इन उपचुनावों के नतीजे 31 मई को आएंगे।
सोनिया गांधी विचार मंच के राष्ट्रीय महासचिव इमरान अहमद ने भाजपा पर करारा वार करते हुए कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के दबाव में काम कर रहा है। इसी के चलते रमज़ान के महीने में देश के अलग-अलग हिस्सों में उपचुनाव करवाया गया। उन्होंने कहा कि कड़ी धूप में रोज़ेदार भूखे प्यासे कतारों में खड़े रहे और मशीनों की गड़बड़ी की वजह से बैरंग लौटते भी रहे।
उन्होंने आरोप लगाया कि रमज़ान में इसलिए भी चुनाव कराया गया जिससे मुस्लिम मतदाता घरों से न निकले और फायदा सीधा भाजपा प्रत्याशी को हो। वहीँ उन्होंने कहा कि ज्यादातर ईवीएम मशीनें उन्हीं इलाको में खराब हुई हैं जहाँ मुस्लिम या दलित लोग अधिक संख्या में रहते हैं। ये अपनेआप में एक बड़ी साज़िश की तरफ इशारा कर रहा है।