नई दिल्ली। पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी भावनाओं को काबू में रखने के लिए जाने जाते हैं। वे मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी आक्रोशित नहीं होते। इस कारण उन्हें ‘मिस्टर कूल’ भी कहा जाता है। उन्होंने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि वे भी इंसान हैं। उनमें भी अन्य लोगों की तरह ही भावनाएं तेजी से आती हैं, लेकिन वे उसे तुरंत नियंत्रित करते हैं। धोनी ने कहा कि भावनाओं को रोकने के मामले में वे शायद अन्य लोगों से बेहतर हैं।
दो बार के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान धोनी ने कहा कि वे मैच या टूर्नामेंट के दौरान सभी तरह की भावनाओं से गुजरते हैं। उन्होंने आगे बताया, ‘मैं अन्य लोगों की तरह ही हूं, लेकिन कुछ लोगों की तुलना में अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से नियंत्रित करता हूं।’ धोनी जुलाई में खत्म हुए वनडे वर्ल्ड कप के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे दिसंबर में वापसी करेंगे।
धोनी ने कहा, “मैं उतना ही निराश महसूस करता हूं। मुझे भी कई बार गुस्सा आता है, निराशा होती है, लेकिन ये महत्वपूर्ण है कि इनमें से कोई भी भावना रचनात्मक नहीं है। अभी (मैच के दौरान) जो करने की जरूरत है, वह किसी भी भावना से अधिक महत्वपूर्ण है। मैं क्या योजना बना सकता हूं? अगला व्यक्ति कौन है, जिसका मैं उपयोग कर सकता हूं? एक बार जब मैं इसमें शामिल हो जाता हूं, तो मैं अपनी भावनाओं को बहुत बेहतर तरीके से नियंत्रित करता हूं।’
धोनी परिणाम से ज्यादा उसके लिए किए गए प्रयासों पर हमेशा ही जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को कप्तानी के दौरान हमेशा दोहराया। उन्होंने कहा, ‘अगर एक टेस्ट मैच है, तो आपके पास दो पारियां हैं, आपको योजना बनाने के लिए थोड़ी लंबी अवधि मिलती है। टी-20 में सब कुछ बहुत जल्दी होता है, इसलिए मांगें अलग हैं।’
धोनी बड़े टूर्नामेंट जीतने के बारे में एक या दो चीजें जानते हैं। उन्हें लगता है कि ये व्यक्तिगत प्रदर्शनों की तुलना में एक टीम लक्ष्य होता है। उन्होंने कहा, ‘आप एक टीम के रूप में जो हासिल करना चाहते हैं, वह टूर्नामेंट जीतना है, लेकिन ये एक दीर्घकालिक लक्ष्य है।’ धोनी ने पिछले वर्ल्ड कप में 8 मैच में 273 रन बनाए थे। उन्होंने इस दौरान दो अर्धशतक लगाए थे। टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में हार गई। इस मैच में धोनी ने 50 रन बनाए थे।