मंत्रिमंडल की शुक्रवार को सचिवालय में हुई बैठक में कुल 14 बिंदुओं पर फैसले लिए गए। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में एपीएलएम के लागू होने से राज्य में फल-सब्जी पर मंडी शुल्क नहीं लगेगा और मंडियों में स्थित दुकानों से यूजर चार्ज लिया जाएगा। किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एपीएलएम मॉडल एक्ट तैयार कर सभी राज्यों को इसे लागू करने को कहा है। ये व्यवस्था दी गई है कि एपीएलएम लागू न करने वाले राज्यों को 15वें वित्त आयोग से इस मद में ग्रांट नहीं मिलेगी। इसे देखते हुए उत्तराखंड में भी इसे अपनाने का निर्णय लिया गया।
उत्तराखंड में कृषि उत्पाद (विकास एवं विनियमन) अधिनियम को खत्म कर इसकी जगह केंद्र सरकार के एग्रीकल्चर प्रोडयूज लाइवस्टॉक मार्केटिंग (एपीएलएम) एक्ट लागू करने को मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दी। इससे संबंधित विधेयक को बजट सत्र में सदन के पटल पर रखा जाएगा। नए एक्ट के लागू होने पर राज्य में किसानों को अपनी उपज बिचौलियो को बेचने से निजात मिल जाएगी। उपज को फूड चेन से जुड़े रिटेल या थोक विक्रेता को सीधे बेचा जा सकेगा। वहीं मंडी समितियों के अध्यक्षों के चुनाव कराने बाध्यकारी होंगे। इससे मंडी समितियों में लोकतंत्र की नई बयार बहती दिखाई देगी।
मंडी शुल्क से 9.50 करोड़ का नुकसान
मंडियों में फल-सब्जी पर लिए जाने वाले डेढ़ फीसद मंडी शुल्क (एक फीसद मंडी शुल्क व आधा फीसद विकास सेस) के खत्म होने से करीब 9.50 करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा। यदि खाद्यान्न को भी इसमें शामिल किया गया तो यह राशि कहीं अधिक हो सकती है।
जहां ज्यादा दाम वहीं बेचेंगे उत्पाद
एपीएलएम लागू होने पर फल-सब्जी पर मंडी शुल्क समाप्त होने के साथ ही आढ़ती लाइसेंस की प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। यानी कारोबार की बंदिशे खत्म हो जाएंगी। साथ ही किसान अपने उत्पादों को वहां बेच सकेंगे, जहां अधिक दाम मिलेंगे। उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पाद उपलब्ध होंगे।
वजूद में रहेंगी मंडी समितियां
एपीएलएल एक्ट लागू होने पर भी मंडी समितियों का वजूद बना रहेगा। मंडी समितियों में जितनी भी दुकानें हैं, उनमें कारोबार करने वालों से यूजर चार्ज लिया जाएगा। हालांकि, सरकारी स्तर पर नई मंडियों की राह कठिन हो जाएगी। साथ में मंडी समितियों में अध्यक्षों की नियुक्ति का अधिकार सरकार के हाथ से निकल जाएगा। अभी इन समितियों में अध्यक्षों को सरकार नामित करती है। नया एक्ट बनने पर सरकार सिर्फ पहली दफा ही दो वर्ष के लिए मंडी समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति कर पाएगी। इसके बाद अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचन से होगा।