सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा, मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा, मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता

सीएम त्रिवेंद्र ने प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर अफसरों को राहत व बचाव के निर्देश दिए हैं। रविवार शाम को प्रभावित क्षेत्र रैणी गांव से लौटकर सीएम त्रिवेंद्र रावत ने सचिवालय में पत्रकारों को बताया कि ग्लेशियर टूटने से रैणी गांव के पास ऋषिगंगा प्रोजेक्ट व इससे पांच किमी नीचे एनटीपीसी प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया है।

चमोली के ऋषिगंगा में बाढ़ आने से 125 से ज्यादा लोग लापता हैं। इनमें ज्यादात्तर निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट के मजदूर व कर्मचारी शामिल हैं। जिला प्रशासन देर शाम तक सात शव बरामद कर चुका है। सेना, आईटीबीपी व एसडीआरएफ की मदद से रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया है।

इनमें काम करने वाले मजदूर व कर्मचारी लापता हैं। बताया कि ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के 29-30 जबकि शेष एनटीपीसी प्रोजेक्ट के कर्मचारी व मजदूर हैं। आसपास के गांवों के लोगों की सतर्कता से 35-40 मजदूर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए थे। त्रिवेंद्र ने कहा कि अभी ग्लेशियर टूटने की वजह का पता नहीं चला है। विशेषज्ञ ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर पाएंगे। बताया कि सेना के तीन हेलीकॉप्टर राहत व बचाव कार्य में लगे हुए हैं। हादस में पांच पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। सीएम त्रिवेंद्र  ने बताया कि आईटीबीपी के 90 जवान रेस्क्यू कार्य में लगे हुए हैं।

मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख सहायता
मुख्यमंत्री ने आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। कहा कि बाढ़ से दोनों प्रोजेक्टों का रिकार्ड भी बह गए है, इसलिए अभी यह पता नहीं चल पाया है कि लापता लोग कहां-कहां के रहने वाले हैं।
टनलों में फंसे हैं मजदूर
लापता ज्यादात्तर कर्मचारी प्रोजेक्ट के टनलों में फंसे हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में एक जबकि एनटीपीसी प्रोजेक्ट की दो टनलें हैं। सीएम ने बताया कि बाढ़ से इन टनलों में लगभग 35 फीट तक गाद भर चुकी है। एनटीपीसी के एक टनल लगभग 250 मीटर लंबी है,जिसके लगभग 150 मीटर तक आईटीबीपी के जवान रोप वे बना कर प्रवेश कर चुके हैं। आईटीबीपी के जवान देर शाम तक 12 लोगों को सकुशल निकाल चुके हैं।
मलारी से टूटा संपर्क
रैणी गांव के पास बीआरओ का लगभग 90 मीटर लंबा पुल भी आपदा में बह गया। ऋषिगंगा पर स्थित यह पुल सीमावर्ती क्षेत्र मलारी को जोड़ता है, लेकिन इसके टूटने से फिलहाल यह क्षेत्र सड़क संपर्क मार्ग से अलग हो गया है। इसके अलावा चार अन्य झूला पुल भी बह गए। इसकी वजह से आसपास के गांवों का संपर्क भी टूट गया है।
17 गांवों शेष हिस्से से कटे
आपदा की वजह से ऋषिगंगा व धौलीगंगा के 17 गांवों का जिले से संपर्क पूरी तरह कट गया है। इनमें छह गांव ऐसे भी हैं जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते माइग्रेट कर लेते हैं। फिलहाल 11 गांवों के ग्रामीणों के सामने मुसीबतें बढ़ गई हैं। सरकार ने जिला प्रशासन को इन सभी लोगों को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।
छह स्थानीय लोग भी लापता
ऋषिगंगा व एनटीपीसी प्रोजेक्ट में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी काम करते हैं। रविवार होने की वजह से ये अवकाश पर थे, जिससे जानमाल का नुकसान कम हुआ। सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि छह स्थानीय लोगों के भी लापता होने की खबर है। इनमें एक महिला भेड़-बकरियां चुगाने भी गई थी।
दो पुलिस के जवान भी लापता
एनटीपीसी प्रोजेक्ट में चार पुलिस कर्मचारी भी सुरक्षा ड्यूटी पर रहते हैं। आज दो जवान अवकाश पर थे, जबकि दो ड्यूटी पर तैनात थे। बाढ़ आने के बाद इन दोनों जवानों का भी कोई पता नहीं चल पाया है।
सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ तैनात
सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि प्रभावितों की मदद के लिए सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व स्थानीय पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। जिला प्रशासन के अफसर भी मौके पर कैंप कर रहे हैं। मेडिकल टीम सीएमओ की देखरेख में घायलों को का इलाज कर रही हैं।

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