भूकंप आने से पहले ही मिल जाएगा अलर्ट, ये हैं खासयित IIT रुड़की में बने मोबाइल एप में

भूकंप आने से पहले ही मिल जाएगा अलर्ट, ये हैं खासयित IIT रुड़की में बने मोबाइल एप में

इस प्रोग्राम की शुरुआत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार ने बतौर पायलट परियोजना उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में की। इसकी सफलता और क्षेत्र की आवश्यकता देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने आईआईटीआर का ईईडब्ल्यू प्रोजेक्ट के विस्तार की मंजूरी दी। ईईडब्लयू भूकम्प की रियल टाइम चेतावनी देता है। इससे भूकम्प शुरू होने का पता लग सकता है और राज्य को जोर के झटके लगने से पहले सार्वजनिक चेतावनी दी जा सकती है। इस भूकम्प पूर्व चेतावनी तंत्र का भौतिक आधार भूकम्प की तरंगों की गति है जो फाॅल्ट लाइन में गति से स्ट्रेस रिलीज पर फैलती है।

आईआईटी रुड़की ने बुधवार को ‘‘उत्तराखंड भूकम्प अलर्ट” नामक भूकम्प पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) मोबाइल ऐप लांच किया। एप्लिकेशन के दो वर्ज़न – एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के लिए उपलब्ध हैं। प्रोजेक्ट उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने स्पांसर किया है। उत्तराखंड भूकम्प की दृष्टि से सबसे अधिक सक्रिय क्षेत्र है और यहां भूकम्प का हमेशा अंदेशा रहता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को यह ऐप लांच किया। आईआईटी रुड़की के लिए यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि भूकम्प की पूर्व चेतावनी देने वाला यह देश का पहला ऐप है।

धरती का जोर से हिलना तरंगों के कारण होता है जिसकी गति शुरुआती तरंगों की आधी होती है और जो विद्युत चुम्बकीय संकेतों से बहुत धीमी गति से बढ़ती है। ईईडब्ल्यू सिस्टम इसी का लाभ लेता है। इस लांच पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, मुझे यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि आईआईटीआर ने भूकंप की पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) मोबाइल ऐप तैयार किया है, जो किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए पड़ोस में भूकंप की घटना और भूकंप आने के अपेक्षित समय और तीव्रता की तत्काल सूचना देता है।

यह परियोजना विशेष रूप से उत्तराखंड सरकार के साथ गठजोड़ में शुरू की गई थी क्योंकि यह क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों से ग्रस्त है। परियोजना के तहत राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के ऊंचे इलाकों में सेंसर लगाए गए हैं। भूकम्प के डेटा आईआईटी रुड़की के ईईडब्ल्यू सिस्टम प्रयोगशाला, सीओईडीएमएम स्थित सेंट्रल सर्वर में आते हैं। डेटा स्ट्रीम करने के लिए तीव्र गति दूरसंचार का उपयोग किया जाता है जबकि उच्च प्रदर्शन वाले कम्प्युटर गणना कार्य करते हैं। केंद्रीय सर्वर 24 × 7 आधार पर लगातार पुनर्प्राप्त डेटा को संसाधित करता है।

यह सर्वर सेंसर वाले क्षेत्रों में 5 से अधिक तीव्रता के भूकम्प का पता चलते ही सार्वजनिक चेतावनी देता है। भूकम्प के केंद्र से दूरी बढ़ने के साथ चेतावनी का समय बदलता है। मोबाइल ऐप की विशिष्टता बताते हुए प्रोजेक्ट के प्रधान परीक्षक प्रो. कमल ने कहा कि यह दुनिया का एकमात्र ऐप है जो भूकम्प के दौरान दुर्भाग्यवश फंस गए लोगों का स्थान रिकॉर्ड करता है और आपदा सहायता बल को इसकी सूचना देता है। शुरुआती तौर पर आईआईटीआर ने राज्य के दो प्रमुख शहरों (देहरादून और हल्द्वानी) में सार्वजनिक सायरन लगाने में उत्तराखंड सरकार की मदद की ताकि आपदा आने से पहले लोगों को सचेत किया जाए।

लेकिन पूरे राज्य को यह चेतावनी देने के लिए समय और संसाधन की कमी देखते हुए संस्थान ने सायरन के बदले अन्य उपाय करने का फैसला किया ताकि एक साथ अधिक से अधिक अधिक लोगों को चेतावनी दी जा सके। इसलिए स्मार्टफोन एप्लिकेशन बेहतर विकल्प बन कर सामने आया जो नए विकसित सिस्टम का अधिक व्यापक उपयोग सुनिश्चित करेगा क्योंकि आज अधिकतर लोगों के पास स्मार्टफोन है। इसके माध्यम से चेतावनी तुरंत जनता तक पहुंच जाती है इसलिए यह सिस्टम का अधिक प्रभावी दिखता है।

इस तरह आईआईटी रुड़की ने भूकम्प पूर्व चेतावनी देने के लिए एक स्मार्टफोन एप्लिकेशन का विकास किया। ऐप के जरिये यूजर को चेतावनी दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि विनाशकारी भूकम्प की तरंगें उनके घर तक पहुंचे इससे पहले वे बाहर निकल जाएं और दूर हट जाएं। भूकम्प पूर्व चेतावनी प्राप्त करने के लिए यूजर को केवल यह ऐप इंस्टॉल करना है और इंस्टॉलेशन के दौरान कुछ जरूरी जानकारियां दर्ज करनी है। ऐप में ज्ञानवर्धक वीडियो हैं जो भूकम्प के दौरान जीवन रक्षा की सिलसिलेवार जानकारी देते हैं। यह ऐप उत्तराखंड में 5 से अधिक तीव्रता के विनाशकारी भूकम्पों की ही पूर्व चेतावनी देता है।

सर्वर को भूकम्प के विनाशक होने का पता लगने पर यह सार्वजनिक चेतावनी देगा जबकि भूकम्प विनाशक नहीं होगा तो केवल सूचना जारी करेगा। भूकम्प की पूर्व चेतावनी प्राप्त करने के लिए ऐप को सूचना प्रसारण की अनुमति देनी होगी। यह ऐप एसओएस मैसेज में वर्तमान लोकेशन भी भेजता है जिसके लिए स्थान की अनुमति देनी होगी। ऐप इंस्टाल करने के दौरान यूएसडीएमए से लोकेशन साझा करने की अनुमति देने की सलाह दी जाती है। इस तरह लोकेशन साझा करने से आपादा की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को ढ़ूढ़ना और बचाव दल का जल्द पहुंचना आसान होता है।

ऐप तक चेतावनी के संकेत इंटरनेट के माध्यम से पहुंचते हैं। इसलिए यूजर से इंटरनेट से जुड़े रहने का अनुरोध किया जाता है। ऐप डेटा का इस्तेमाल केवल भूकम्प की सूचना देने के दौरान करता है। यूजर्स को इसके अतिरिक्त भूकम्प के समय सुरक्षा के आवश्यक कदम देखने-समझने की सलाह दी जाती है। ऐप में कई वीडियो लिंक समेत यूजर की बेहतर समझ के लिए डेमोंस्ट्रेशन भी दिए गए हैं ताकि आपदा के समय बेहतर तैयारी से बचाव करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *