अग्रवाल के बीजेपी में आने से बसपा की बढ़ी मुश्किलें

लखनऊ। सपा विधायक नितिन अग्रवाल के भाजपा में शामिल होने और भाजपा के राज्यसभा के लिये 11 उम्मीदवार मैदान में उतारने से बसपा के उम्मीदवार की राह मुश्किल हो गयी है। सपा उम्मीदवार जया बच्चन की जीत आसान लग रही है, लेकिन बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर की राह मुश्किल हो गयी है। राज्यसभा की एक सीट के लिए किसी भी पार्टी के पास 37 विधायक होने जरूरी हैं। 403 सदस्यों वाली उप्र विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 324 सीटे हैं। अभी हाल ही में भाजपा के नूरपूर के विधायक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी। समाजवादी पार्टी के पास इस वक्त 47 विधायक हैं। इस हिसाब से सपा का एक ही प्रत्याशी राज्यसभा में जा सकता है।

वहीं, बसपा के 19 विधायक हैं। जीत के लिए 37 विधायकों का समर्थन चाहिए। सपा ने साथ देने का ऐलान किया है। बसपा के आंबेडकर को राज्यसभा भेजने के लिए बसपा के 19, सपा के 10, कांग्रेस के सात, रालोद की एक वोट के सहारे हैं। सपा के हरदोई के विधायक नितिन अग्रवाल के भाजपा में जाने से एक वोट की कमी हो गयी है। इसके अलावा सपा को आशंका है कि उसके कुछ सदस्य गैर हाजिर रह सकते हैं या पाला बदल सकते हैं।
सपा प्रवक्ता और विधानपरिषद के सदस्य सुनील सिंह साजन ने आरोप लगाया, ‘भाजपा का चरित्र हमेशा तोड़ने और खरीद फरोख्त का रहा है। इसलिये अपनी सरकार की ताकत दिखाने के लिये उन्होंने राज्यसभा के लिये अतिरिक्त नामांकन कराये है। इसके तहत वह पिछड़ों और दलितों के गठबंधन (सपा-बसपा) में दूरी बनाने के लिये वह यह साजिश जरूर करेंगे।’’
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौड़ ने कहा, ‘हमारे आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेजने के बाद 28 अतिरिक्त वोट हैं। हम अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं। पूरी तस्वीर 15 मार्च को नाम वापसी के बाद साफ हो जायेगी।’’ उप्र राज्यसभा की 10 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने 11 प्रत्याशी उतारे हैं। एक निर्दलीय, सपा के एक और बसपा के एक प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल किया है।

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