पेट्रोल-डीजल के रेटों में वृद्धि के बाद कमर्शियल गाड़ियों पर पड़ेगा बोझ, मोटर व्हीकल टैक्स बढ़ाने की तैयारी
परिवहन आयुक्त को दूसरे राज्यों की टैक्स व्यवस्था का अध्ययन करने के निर्देश दिए गए हैं। संपर्क करने पर उपायुक्त-परिवहन सनत कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की। सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों में मोटर व्हीकल टैक्स में काफी विसंगति है। वर्तमान में उत्तराखंड सबसे कम टैक्स लेता है। इस वजह से जहां उत्तराखंड दूसरे राज्यों को काफी ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ रहा है।
उत्तराखंड में सार्वजनिक यात्री वाहनों से वसूला जाने वाले मोटर व्हीकल टैक्स में इजाफा हो सकता है। वर्तमान में उत्तराखंड में बसों में प्रति सीट टैक्स अधिकतम 90 से 100 रुपये ही लिया जा रहा है। जबकि यूपी चार गुना ज्यादा टैक्स वसूलता है। टैक्स विसंगति की वजह से राज्य को हर महीने करोड़ों रुपये का चूना लगा रहा है। मामला संज्ञान में आने पर सरकार राज्य के टैक्स को संशोधित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
वहीं दूसरे राज्यों के वाहनों से उस अनुपात में टैक्स नीं मिल रहा। उत्तराखंड में यात्री बस में प्रति सीट के 90 रुपये टैक्स लिया जाता है। यह राज्य के अपने और दूसरे राज्यों के वाहनों पर समान रूप से लागू है। जबकि यूपी में यही टैक्स प्रति सीट 400 रुपये है। और वातानुकूलित वाहन में यह टैक्स 600 रुपये हो जाता है। अकेले रोडवेज ही सालाना 30 से 35 करेाड़ रुपपे यूपी को चुका रहा है।
जबकि यूपी से आने वाले वाहनों से टैक्स काफी कम मिल रहा है। परिवहन सूत्रों के अनुसार वर्ष 2012 से टैक्स को लेकर यह स्थिति बनी हुई है। सरकार का मानना है कि राज्य के टैक्स को भी दूसरे राज्यों के अनुपात में बढ़ाकर इस अंतर को पाटा जा सकता है।