नयी दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक पर उठे विवाद के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि असम के लोगों को प्रस्तावित कानून के बारे में आशंकित होने की जरुरत नहीं है और कोई भी भावी कदम सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही उठाया जाएगा। गृहमंत्री ने एक बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से यह बात कही। सोनोवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गृहमंत्री ने कहा कि असम के लोगों के दिमाग में नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में कोई आशंका नहीं होनी चाहिए। गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है कि कोई भी कदम उठाने से पहले असम की जनता को विश्वास में लिया जाएगा। सभी पक्षों से विचार विमर्श किया जाएगा।’’
नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को कानून बनाने के केंद्र के कदम के खिलाफ असम में प्रदर्शन हो रहा है। इस विधेयक में धार्मिक अत्याचार के कारण बांग्लादेश , पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रावधान है। विधेयक का विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि यह विधेयक पारित हो गया तो इससे असम में बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
सोनोवाल ने यह भी कहा कि इस संबंध में असम के लोगों की चिंताओं के समाधान की सभी कोशिश की जाएगी। उन्होंने गृहमंत्री से असम संधि के उपबंध छह के क्रियान्वयन के लिए सिफारिशें देने के लिए एक समिति गठित करने का अनुरोध किया। यह संधि असमी लोगों की संस्कृति , सामाजिक , भाषाई पहचान एवं धरोहर की सुरक्षा, परिरक्षण और संवर्धन के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासिनक सुरक्षा उपाय करने का प्रावधान करती है। गृहमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार के साथ परामर्श कर यथाशीघ्र समिति बनायी जाएगी। बैठक में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर भी चर्चा हुई।