उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 14 मार्च तक के आंकड़े बताते हैं कि दून में पीएम-10 का अधिकतम स्तर 193.82 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (मानक 100) आइएसबीटी पर था। वहीं, पीएम-2.5 का अधिकतम स्तर इसी साइट पर 97.69 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (मानक 60) था। यह स्थिति भी तब थी कि कोरोना को लेकर पिछले सप्ताह से ही सड़कों पर आवाजाही काफी कम हो गई थी। हालांकि, इसके बाद भी प्रदूषण की दर मानक से कहीं अधिक बनी रही।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए जनता कर्फ्यू का एक और व्यापक असर दून में देखने को मिला। जनता कर्फ्यू से कोरोना वायरस की चेन पर करारी चोट तो पड़ी ही होगी, साथ ही इससे वायु प्रदूषण में भी रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। आमतौर पर दून में वायु प्रदूषण का ग्राफ मानक से दो गुना से भी अधिक रहता है, मगर रविवार के दिन किसी ने भी सोचा नहीं होगा कि यह आंकड़ा 80 फीसद से भी नीचे आ जाएगा।
आश्चर्यजनक बात यह है कि जब रविवार को सड़कें सूनी थीं और दूर-दूर तक वाहन नजर नहीं आ रहे थे, तब वायु प्रदूषण की दर भी नए रिकॉर्ड की तरफ बढ़ रही थी। रविवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण के डाटा एकत्रित नहीं किए, मगर कुछ आधिकारिक ऑनलाइन साइट के आंकड़े बता रहे थे कि दून में पीएम-2.5 का स्तर 20 पर आ गया है। वहीं, पीएम-10 की मात्र भी 35 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर सिमटी रही। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिकॉर्ड में आज तक ऐसी गिरावट कभी देखने को नहीं मिली।
पीएम-10 का अधिकतम स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए, जबकि यह स्तर 65 फीसद कम रहा। वहीं, पीएम-2.5 का स्तर मानक से और भी कम 66 फीसद रहा।
दून में देश के उन शहरों में शामिल है, जहां वायु प्रदूषण का ग्राफ बेकाबू रफ्तार से बढ़ रहा है। ऐसे में जनता कर्फ्यू से वायु प्रदूषण का जो आंकड़ा सामने आया है, वह अभूतपूर्व है। प्रदूषण पर नियंत्रण लगाना तो दूर एक दिन में ही इसका स्तर मानक से कहीं नीचे आ गया। बेशक हमेशा ऐसी स्थिति नहीं रहेगी और नहीं भी रहनी चाहिए, मगर कोरोना वायरस के बहाने यह तय है कि हम प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं।
यदि बाकी दिन भी लोग वाहनों का नियंत्रित उपयोग करें, सामूहिक रूप से यात्रा करें और थोड़ी दूर तक पैदल या साइकिल से तय करें तो हम वायु प्रदूषण का स्तर आसानी से कम कर लेंगे। वायु प्रदूषण पर लंबे समय से काम रह रहे सोशल डेवलमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि दूनघाटी में वायु प्रदूषण बड़ समस्या बन रहा है। अधिकतर हवा में वायु प्रदूषण के लिए वाहन बड़ा कारक हैं। लिहाजा, हम सबको संकल्प लेना चाहिए कि बाकी दिन भी वाहनों का अनावश्यक प्रयोग न करें।