400 वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने को जुटे दुनियाभर के, 40 देशों ने दिए 800 करोड़
दुनिया के 40 देशों, संगठनों और बैंकों से शोध, इलाज और जांच के लिए करीब 800 करोड़ रुपये की मदद मिलने से वैक्सीन का काम तेज हो गया है। उन्होंने कहा कि वायरस के सक्रिय होने के बाद से डब्ल्यूएचओ हजारों शोधकर्ताओं के साथ काम कर रहा है। करीब 400 वैज्ञानिक हर घड़ी जानवरों के मॉडल और क्लीनिकल ट्रायल के मॉडल पर काम कर रहे हैं ताकि जांच और इलाज के तरीके को गति मिल सके।
कोरोना की वैक्सीन बनाने की रेस में सात से आठ संस्थाएं आगे हैं जबकि करीब 100 संस्थाएं काम कर रही हैं। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रॉस एडहानोम घेबरेसस ने संयुक्त राष्ट्र इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बताया कि पहले वैक्सीन को तैयार करने में 12 से 18 महीने का समय लगने की संभावना थी।
टेड्रॉस ने कहा, दुनियाभर के देश हजारों करोड़ स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं जो दुनियाभर के जीडीपी का दस फीसदी है। सबसे बेहतर निवेश स्वास्थ्य क्षेत्र में है। स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक जोर देना होगा। इससे बीमारियों को शुरुआती स्तर पर रोका जा सकेगा जिससे लोगों की जिंदगी व पैसा बचेगा।
महामारी से दुनियाभर के देशों को सबक लेना होगा। आज के हिसाब से देखें तो 2030 तक 500 करोड़ लोगों के पास जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होंगी। सबसे अधिक किल्लत स्वास्थ्यकर्मी, जरूरी दवाओं और अस्पतालों में साफ पानी की होगी।
ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है, खराब हालात में टीका आने में एक साल लग सकता है और हो सकता है कि इसका कोई टीका मिल ही नहीं पाए। कोरोना की वैक्सीन मिलने की गारंटी नहीं है।
इन हालात के बीच भी ब्रिटेन के पीएम ने 50 पन्नों के दिशा निर्देश देते हुए लॉकडाउन में ढील के उपाय बताए, ताकि अर्थव्यवस्था को खोला जा सके। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि हमें इस बीमारी के साथ लंबे वक्त तक रहना पड़े।