ग्रीष्मकालीन राजधानी ‘गैरसैंण’ पर खर्च होंगे 25 हजार करोड़
सीएम ने कहा कि गैरसैंण के विकास को सरकार चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है। पहले गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। अब इस समूचे क्षेत्र को विकसित करने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र में अवस्थापना विकास को सुनियोजित कार्यों के लिए मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी। यह समिति गैरसैंण के विकास को लेकर रिपोर्ट देगी। समिति गैरसैंण व आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के विकास पर भी फोकस करेगी।
गैरसैंण के विकास पर अगले दस साल में 25 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया है। राज्य स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को गैरसैंण में हुए कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने यह घोषणा की।
गैरसैंण के विकास को लेकर सरकार की रणनीति के मद्देनजर ‘हिन्दुस्तान’ ने राज्य के वित्त सचिव अमित नेगी से बातचीत की। नेगी ने बताया कि गैरसैंण के विकास के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जा रही है। इसके तहत गैरसैंण को नए शहर के रूप में विकसित करने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि गैरसैंण को शहर के रूप में विकसित करने के लिए इससे जुड़ी सभी सड़कों को फोर लेन किया जाएगा।
भविष्य में इस क्षेत्र में ट्राम की संभावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। गैरसैंण में धीरे-धीरे कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया जाएगा। जिस पर यह 25 हजार करोड़ रुपये खर्च होने हैं। उन्होंने कहा कि गैरसैंण का विकास एक-दो साल में अचानक नहीं किया जा सकता। इसके चलते सरकार दीर्घकालिक योजना तैयार कर रही है।
गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस पर हुई रैतिक परेड में पुलिस व आईटीबीपी की टुकड़ियों ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर छोलिया, पांडव नृत्य की प्रस्तुति दी गईं। स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर तालियां बटोरीं। दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों ने तालियां बजाकर कलाकारों और बच्चों का उत्साह बढ़ाया।
गैरसैंण के विकास के लिए 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के ऐलान को इसे भविष्य की राजधानी के तौर पर तैयार करने के रूप में देखा जा रहा है। इस क्रम में गैरसैंण जाने वाली सभी सड़कों को फोर लेन किया जाएगा। सीवर, पुल जैसे परियोजनाओं पर भी काम होगा। विश्लेषकों का मानना है कि यदि 25 हजार करोड़ की योजनाएं धरातल पर उतरती हैं तो गैरसैंण भविष्य की राजधानी के तौर पर उभर सकता है।
हालांकि इसके लिए राजनैतिक इच्छा शक्ति की जरूरत होगी। त्रिवेंद्र सरकार गैरसैंण में सड़कों की स्थिति में सुधार के साथ ही पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी जरूरतों के विकास पर फोकस करने जा रही है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ साल में गैरसैंण में मिनी सचिवालय से लेकर नए अस्पताल व आवासीय स्कूल आदि का निर्माण कराने की योजना है।
साथ ही हेली सेवा को विस्तार देने के लिए क्षेत्र में नए हेलीपैड बनाने की कवायद भी चल रही है। गैरसैंण क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार के लिए कुछ नई सड़कों पर भी काम किया जा सकता है। हालांकि इस संदर्भ में अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होने वाली समिति ही लेगी। समिति गैरसैंण के आर्थिक विकास की संभावनाओं पर भी सुझाव प्रस्तुत करेगी।
उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों की पहुंच देश, दुनिया के बाजारों तक बनाने को सरकार निर्यात नीति बनाएगी। इस नीति के तहत हर जिले से एक उत्पाद निर्यात को चिह्नित किया जाएगा। नीति के तहत राज्य के उद्यमियों और कारोबारियों को सुविधाएं देने की भी व्यवस्था की जाएगी। राज्य स्थापना दिवस के मौके सीएम ने गैरसैंण में यह ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि राज्य के जैविक उत्पाद, जड़ीबूटी और फार्मा उद्योग में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। नई नीति में ऐसे उत्पादों के उत्पादन पर फोकस होगा जिनकी मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो। उन्होंने कहा कि बड़े बाजारों की मांग के अनुरूप उत्पाद तैयार हों, इसके लिए नई नीति में विशेष प्रावधान किए जाएंगे। सीएम ने कहा कि सरकार लंबे समय से राज्य में निवेश को प्रोत्साहित कर रही है।
इसके बेहद सकारात्मक परिणाम मिले हैं और कई निवेशक निवेश को तैयार हैं। ऐसे में राज्य में बने उत्पादों को मार्केटिंग की जरूरत है। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए निर्यात नीति का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। राज्य में अभी सालाना करीब 16, 500 करोड़ रुपये का निर्यात होता है अब सरकार की कोशिश है इस राशि को और बढ़ाया जाए। राज्य के उत्पादों को पहचान दिलाने व नए उत्पाद विकसित करने को सरकार पहले काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने जिलास्तरीय विकास प्राधिकरणों में नक्शा पास कराने की प्रक्रिया में सरलीकरण का ऐलान किया है। सीएम की घोषणा के बाद पहाड़ में विकास प्राधिकरण का दायरा घटाने का रास्ता साफ हो गया है। सीएम ने गैरसैंण में 2017 में गठित जिलास्तरीय विकास प्राधिकरणों के मानकों में राहत देने की घोषणा की है।
हालांकि सीएम ने राहतों का एलान नहीं किया। आवास विभाग के सूत्रों के मुताबिक,पहाड़ी जिलों में अब प्राधिकरण का दखल सड़क से दोनों ओर साठ मीटर तक सीमित किया जा सकता है। अभी यह दूरी दोनों ओर दो सौ-दो सौ मीटर है। इससे बड़ी संख्या में गांवों में भी नक्शा पास कराना अनिवार्य हो गया है। इसी तरह पहाड़ों में सब डीविजनल शुल्क समाप्त किए जाएंगे। पहले माना जा रहा था कि सीएम सीधे इसकी घोषणा करेंगे पर अब इसके लिए पहले कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।
सरकार ने 2017 में सभी जिलों में विकास प्राधिकरण गठित किए थे। इससे पहाड़ में भी निर्माण को नक्शा पास कराना जरूरी हो गया। इस विषय पर गठित विधानसभा समिति की बैठक भी जिला विकास प्राधिकरणों के खिलाफ आई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत समेत कई पार्टी विधायक विकास प्राधिकरणों के खिलाफ हैं।
उत्तराखंड में जच्चा- बच्चा के लिए जल्द मुख्यमंत्री सौभाग्यवती योजना शुरू होगी। इसमें प्रथम बार मां बनने वाली महिला के साथ ही उसके नवजात को पौष्टिक आहार और जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाएगा। सौभाग्यवती योजना की घोषणा, सीएम ने राज्य के बजट भाषण में की थी। कोरोना के कारण इस पर अमल नहीं हो पाया।
सोमवार को सीएम ने गैरसैंण में इस योजना पर जल्द अमल का ऐलान किया। इसमें प्रथम बार मां बनने पर महिला को करीब पांच हजार रुपये की विशेष किट उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकरण करवाना होगा।देश में कहीं भी लें अनाज: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में आने वाले 62 लाख लोगों के लिए अच्छी खबर है।
अब से वे देश में कहीं भी सरकारी राशन की दुकान से राशन ले सकते हैं। राज्य में वन नेशन वन राश्न कार्ड योजना को लागू कर दिया है। सीएम ने गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस समारोह में इसकी शुरुआत की। चमोली के तीन लोगों को वन नेशन वन राशन कार्ड योजना के तहत डिजिटल राशन कार्ड भी दिए गए। उत्तराखंड यह योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य रहा है। अब वन नेशन-वन राशन कार्ड लागू करने वाले चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है।
राज्य में शहरी गरीब आबादी को पानी का कनेक्शन आठ हजार की जगह 100 रुपये में मिलेगा। सीएम ने सोमवार को यह घोषणा की। इस घोषणा का लाभ शहरों में लाखों की संख्या में मलिन बस्तियों में रहने वाली आबादी को मिलेगा। सामान्य संवर्ग के साथ एससी एसटी लोगों को इसका लाभ मिलेगा। अभी राज्य में एससी एसटी को शहरी क्षेत्र में पानी का कनेक्शन 1000 रुपये में मिलता है।
सामान्य वर्ग के लोगों को 200 वर्ग मीटर भूमि पर भवन के लिए पानी का कनेक्शन लेने पर आठ हजार रुपये चुकाने होते हैं। भले ही मकान कोई करोड़पति बना रहा हो या बीपीएल परिवार। अब गरीबों को मुख्यमंत्री ने बहुत बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। सिर्फ 100 रुपये में पानी का कनेक्शन मिलने से गरीबों को घर बनाने में एक बड़ी सहूलियत मिलेगी।
जिन लोगों के पुराने घर हैं, उन्हें भी अपना पेयजल कनेक्शन नियमित कराने में आसानी होगी। इस घोषणा का सबसे बड़ा लाभ राज्य की मलिन बस्तियों में रहने वाली आबादी को मिलेगा। तो देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल समेत पहाड़ के जिलों में गांव से शहरी क्षेत्र की ओर आकर मकान बनाने वालों को भी लाभ मिलेगा। सामान्य संवर्ग के साथ ही एससी एसटी की आठ हजार रुपये की बचत होगी।