इस परियोजना को केंद्र के सभी मंत्रालयों से हरी झंडी मिलने के साथ ही 2584 करोड़ रुपये का ऋण एडीबी से मांगा गया है। एडीबी के विशेषज्ञों की टीम पिछले माह परियोजना स्थल का निरीक्षण करने के साथ ही डूब क्षेत्र के ग्रामीणों व अफसरों से मिली थी, फिर दून में मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। वहीं बुधवार को गैरसैंण में विधानसभा में पेश किए गए बजट में सरकार ने परियोजना को 220 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। इस धनराशि का अधिकांश भाग नए वित्तीय वर्ष में डूब क्षेत्र के ग्रामीणों के पुनर्वास पर खर्च किया जाएगा। इधर एसआइए व प्रशासन की की टीम डूब क्षेत्र के ग्रामीणों के सामाजिक परिवेश का अध्ययन करने के साथ ही आपत्तियों की सुनवाई में जुटी हैं।
जमरानी बांध परियोजना की परिकल्पना को साकार करने के लिए सरकार की मंशा भी साफ हो चुकी है। नए वित्तीय वर्ष में डूब क्षेत्र के लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार ने बजट में 220 करोड़ रुपये की घोषणा की है। धनराशि मिलते ही ग्रामीणों के पुनर्वास की कार्यवाही तेजी पकड़ेगी। वहीं इससे पहले ही एडीबी के विशेषज्ञों की टीम जमरानी बांध परियोजना को ऋण देने के लिए सकारात्मक संदेश दे चुकी है।
एडीबी ने कर्ज के लिए दिए सकारात्मक संकेत
डॉ. भूपेंद्र सिंह औलख, सचिव, सिंचाई विभाग का कहना है कि जमरानी बांध परियोजना राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। एडीबी ने भी कर्ज देने के लिए सकारात्मक संदेश दिए हैं। सरकार परियोजना को साकार रूप देने के लिए गंभीरता से काम कर रही है। इसी कड़ी में बजट में 220 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई है।
सरकार 12 सूत्री मांगाें को पूरा करे
नवीन पलडिय़ा, अध्यक्ष, जमरानी संघर्ष समिति ने बताया कि जमरानी बांध परियोजना पुनर्वास के लिए बजट में 220 करोड़ की घोषणा का डूब प्रभावित लोगों की ओर से स्वागत है। हालांकि डूब क्षेत्र के लोग 12 सूत्रीय अपनी मांगें पूरी होने पर ही भूमि अधिग्रहण के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे। सरकार को मांगों को भी जल्द पूरा करना चाहिए।