प्रदेश में 1000 करोड़ की सालाना बिजली चोरी पर लगेगा लगाम

प्रदेश में 1000 करोड़ की सालाना बिजली चोरी पर लगेगा लगाम

तत्काल प्रभाव से यह आदेश लागू होगा। इससे राज्यभर के इंजीनियरों में खलबली मच गई है। आदेश में साफ किया गया है कि इंजीनियरों के वेतन को उन्हें दिए गए लक्ष्यों से जोड़ा जा रहा है। इसमें सभी फील्ड इंजीनियरों को निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार बिजली बिलों की वसूली और लाइन लॉस को कम करना होगा। ऐसा न होने पर सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता इसके लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार रहेंगे। उनका वेतन उसी प्रतिशत में जारी होगा, जितने प्रतिशत उन्होंने लक्ष्य हासिल किया है।

ऊर्जा निगम ने राजस्व वसूली और बिजली चोरी रोकने पर अब कड़े मानक तय कर दिए हैं। अब राजस्व वसूली और बिजली चोरी रोकने में लापरवाही बरतने वाले इंजीनियरों को वेतन नहीं मिलेगा। एई, एक्सईएन और एसई स्तर के इंजीनियर इस दायरे में आएंगे। इंजीनियरों को चेतावनी दी गई है कि जो खंड जितना राजस्व वसूल करेगा, उन्हें उतने ही फीसदी वेतन मिलेगा। यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक नीरज खैरवाल ने यह आदेश किए हैं।

उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के केन्द्रीय अध्यक्ष जेसी पंत ने फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व वसूली में होने पर संबंधित अभियंताओं एवं कर्मचारियों के वेतन से रिकवरी किए जाने का फैसला निराश करने वाला है। कोरोना में लोगों की भुगतान क्षमता घट रही है। इसके बावजूद कर्मचारी राजस्व वसूली में जुटे हैं। इसके बाद भी यदि वेतन से छेड़छाड़ की कोई भी कार्रवाई कर्मचारियों के विरुद्ध होती है, तो इसका विरोध होगा।

यूपीसीएल में हर साल करीब 1000 हजार करोड़ का लाइन लॉस होता है। इसमें एक बड़ा हिस्सा बिजरी चोरी का है। हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर, बाजपुर, किच्छा, पंतनगर, कोटद्वार समेत तमाम दूसरे ऐसे डिवीजन जहां फर्नेश समेत तमाम उद्योग हैं। वहां सबसे अधिक बिजली चोरी होती है।

यूपीसीएल में हर साल बड़े उद्योगों के बिल वसूली में भी लापरवाही बरती जाती है। हर साल स्टील कंपनियां पहले तो समय पर बिल जमा नहीं करातीं, बाद में इन्हें किश्तों में भुगतान की सुविधा दी जाती है। यूएसनगर, हरिद्वार में 50 लाख से 50 करोड़ तक का बकाया भुगतान न करने वाली कई फैक्ट्रियां हैं, जिन पर इंजीनियरों की सालों से मेहरबानी बनी है।

इस फैसले के बाद देर शाम उत्तराखंड पॉवर इंजीनियर्स एसोसिएशन की आपात बैठक हुई।  महासचिव अमित रंजन ने बताया कि बैठक में फैसले का विरोध किया गया। शनिवार को मैनेजमेंट के समक्ष भी विरोध जताते हुए इस फैसले को वापस लेने का दबाव बनाया जाएगा। क्योंकि फील्ड में न पर्याप्त जेई हैं और न ही एई। ऐसे में शत प्रतिशत राजस्व वसूली और लाइन लॉस रोकना संभव ही नहीं है। अफसरों को इस व्यवहारिक पक्ष को समझना होगा।

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