उत्तराखंड में 100 कंपनियां कर रहीं मास्क और पीपीई किट का उत्पादन
पीपीई किट का उत्पादन करने वाले उद्योगों का सीधे सरकारी व निजी अस्पताल से अनुबंध है। इसलिए मेडिकल स्टोरों में पीपीई किट का स्टॉक कम मात्रा में है। मगर, सैनिटाइजर व मास्क की कोई कमी नहीं है। उद्योग निदेशालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देहरादून व सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र में 32, हरिद्वार व इसके आसपास 24 और काशीपुर, गदरपुर, ऊधमसिंह नगर आदि औद्योगिक क्षेत्रों में 43 औद्योगिक इकाइयां मास्क, पीपीई किट व सैनिटाइजर का उत्पादन कर रही हैं।
उत्तराखंड में कोरोना से लड़ने के लिए मास्क, पीपीई किट और सैनिटाइजर जैसे हथियारों की कोई कमी नहीं है। प्रदेश के तीन प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों सेलाकुई, हरिद्वार और काशीपुर स्थित एमएसएमई सेक्टर की करीब 100 औद्योगिक इकाइयों में मास्क, पीपीई किट और सैनिटाइजर का उत्पादन हो रहा है। इनमें 60 से अधिक छोटे व कुटीर उद्योग एन-95, सर्जिकल और ट्रिपल लेयर कपड़े के मास्क बना रहे हैं। जिनकी कीमत 20 रुपये से लेकर 80 रुपये तक है।
कामगारों की संख्या कम, उत्पादन पर्याप्त
इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि राज्य के एमएसएमई सेक्टर के उद्योग मास्क व सैनिटाइजर तैयार कर रहे हैं। कोरोना के चलते यहां कामगारों की संख्या में कमी आई है, लेकिन बाजार में इन उत्पादों की कोई कमी नहीं है।
गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान सेलाकुई स्थित बॉडी केयर कंपनी ने उच्च क्वालिटी के मास्क ‘कवच’ का निर्माण किया था। कंपनी ने न केवल देश की सुरक्षा से जुड़े सैनिकों व फ्रंटलाइन वारियर्स को एन-98 ईको फ्रेंडली मास्क उपलब्ध करवाए, बल्कि चीन के एन-95 मास्क का विकल्प भी देश को दिया। कंपनी के कार्यकारी अधिकारी विजय तोमर ने बताया कि उनकी कंपनी की कुछ इकाइयों ने फिर से कवच मास्क बनाना शुरू कर दिया है। कुछ दिन के भीतर सेलाकुई इकाई भी इसका उत्पादन शुरू कर देगी।
उद्योग मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि प्रदेश के उद्योगों में पिछले वर्ष पहली बार पीपीई किट, मास्क व सैनिटाइजर का उत्पादन शुरू हुआ था। क्योंकि उद्योग कोरोना कर्फ्यू के दायरे से बाहर हैं, इसलिए उत्पादन बंद होना और इन उत्पादों की कीमतें बढ़ने जैसी राज्य में कोई बात नहीं है।