देहरादून : नीति आयोग में उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों की पृथक पारिस्थितिकी एवं भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर अलग नीति बनाने पर बल दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सात अगस्त को नई दिल्ली में आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक में इस विषय को उठाएंगे।
नीति आयोग के समक्ष रखे जाने वाले विषयों पर की चर्चा
मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार को सचिवालय में नीति आयोग के समक्ष रखे जाने वाले विषयों से संबंधित बिंदुओं पर विभागवार चर्चा की। आयोग की बैठक के एजेंडा बिंदुओं में फसल विविधीकरण एवं दलहन व तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता, विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन और शहरी प्रशासन से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग सभी राज्यों को ध्यान में रखकर समान रूप से केंद्रपोषित योजनाओं और नीतियों का निर्धारण करता है। हिमालयी राज्यों को अलग दृष्टि से देखने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बाबा केदारनाथ के साथ ही राज्य के अन्य धामों के प्रति विशेष आस्था है। बीते वर्ष अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान उन्होंने 21वीं सदी के चालू दस वर्षों को उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण बताया था। इसे ध्यान में रखकर राज्य के विकास का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
चारधाम यात्रा में आ चुके 30 लाख से अधिक श्रद्धालु
उन्होंने कहा कि इस वर्ष चारधाम यात्रा में 30 लाख से अधिक श्रद्धालु अब तक आ चुके हैं। तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों की आवाजाही भविष्य में और बढ़ेगी। यात्रा मार्ग से जुड़े प्रमुख स्थलों की अवस्थापना सुविधाओं के विकास व सुव्यवस्थित यातायात को टनल पार्किंग की योजना आवश्यक है।
नीति आयोग में राज्य की ईकोलाजी के साथ इकोनामी को बढ़ावा देने के प्रयासों से संबंधित बिंदुओं को भी रखा जाएगा। बैठक में मुख्य सचिव डा एसएस संधु, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, एसएन पांडे, विनोद कुमार सुमन, यूकास्ट महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत उपस्थित थे।