जब 1971 इंडो-पाक युद्ध का सारा श्रेय इंदिरा गाँधी ने लिया

aqcsg9v0राहुल गांधी द्वारा मोदी पर लगाया गया ‘खून की दलाली’ का छिछला आरोप खुद कांग्रेस पर ही सत्य उतरता है। 1971 में भारतीय सेना ने युद्ध जीत कर पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। उसके बाद 1972 के प्रारंभ में देश में विधानसभा चुनाव थे। कांग्रेस ने तमाम अखबारों और र्होडिंगों के जरिए इंदिरा गांधी को युद्ध-विजेता और दुर्गा के रूप में प्रचारित किया। हालांकि 93 हजार पाक युद्ध-बंदी और पश्चिम में 12,500 वर्ग किलोमीटर भूमि हाथ में होने के बावजूद इंदिराजी न तो पाक-अधिकृत कश्मीर वापस ले सकीं, न पाक की युद्ध-मशीनरी नष्ट करने की शपथ पूरी कर सकीं, न 32 लाख नागरिक हत्याओं और 12 लाख बलात्कारों के दोषी पाक फौजियों पर मुकदमे चला सकीं।

लेकिन उन्होंने बांग्लादेश-निर्माण का पूरा श्रेय लूट कर तमाम विधानसभाओं में भारी बहुमत हासिल कर लिया।

1961 में सैनिक कार्रवाई द्वारा गोवा-दमण-दीव को पुर्तगाल से मुक्त करा कर जवाहरलाल नेहरू ने भी 1962 के आम चुनावों में इसका खूब प्रचार किया था। उन दिनों सिंधु जल समझौता व बेरूबारी पाकिस्तान को उपहार में दे देने की वजह से देश में उनकी थू-थू हुई थी।

पर गोवा-मुक्ति के प्रचार के सहारे वे चुनावी वैतरणी सरलता से पार कर गए। मोदी ने तो उस किस्म व स्तर का कोई प्रचार किया भी नहीं। फिर भी राहुल आरोप लगाते हैं!

“खून की दलाली” से कांग्रेस मुसीबत में

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के ‘खून की दलाली’ वाले बयान पर कांग्रेसी नेता ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया है। मध्‍य प्रदेश कांग्रेस के एक नेता का यह वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। बडवानी जिले के संगठन सचिव शैलेश चौबे ने अपना एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्‍होंने कांग्रेस अध्‍यक्षा सोनिया गांधी से राहुल गांधी को पार्टी के ‘विनाश’ से पहले निष्‍कासित करने की अपील की है। चौबे ने राहुल को किसी ‘बिजनेस वेंचर’ में स्‍थापित करने भी सलाह भी सोनिया को दी है। 1 मिनट 26 सेकेंड के वीडियो में वे कहते हैं, ”मैं, शैलेश चौबे, संगठन सचिव, जिला कांग्रेस बडवानी एआईसीसी (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से मांग करता हूं कि राहुल गांधी के ‘खून की दलाली’ वाले दुर्भाग्‍यपूर्ण कमेंट के बाद, उन्‍हें पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए।”

चौबे ने कहा कि 30‍ दिनों तक राहुल गांध्‍ी उत्‍तर प्रदेश में किसान यात्रा पर गए और अच्‍छे नेतृत्‍व का प्रदर्शन किया, ”लेकिन आखिरी दिन और यात्रा के अंत में उन्‍होंने ऐसे शब्‍दों का प्रयोग किसा जिसके लिए पूरे देश ने उनकी निंदा की। वह पार्टी के लिए कुछ अच्‍छा नहीं कर सकते, इसलिए उन्‍हें राजनीति से बाहर निकल जाना चाहिए, उन्‍हें बाहर किया जाए और किसी अच्‍छे बिजनेस वेंचर में कॅरियर बनाने दिया जाए। जो कांग्रेस को चाहते हैं और भाजपा के खिलाफ लड़ते हैं, वे लड़ते रहेंगे। लेकिन यह शख्‍स हमें हर मोर्चे पर हरवा देगा और उनका नेतृत्‍व हमें मंजूर नहीं है क्‍योंकि वह नेतृत्‍व करना नहीं जानते। मैं मांग करता हूं कि उन्‍हें निष्‍कासित किया जाए।”

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