देहरादून : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पार्टी के दिग्गज नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की जबानी जंग से कार्यकर्ताओं के मनोबल पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने नेताओं को नसीहत दी कि पार्टी फोरम पर ही अपनी बात रखें और संयम रखते हुए बयानबाजी न करें।
प्रदेश में पांचवीं विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हरीश रावत चुनाव में सामूहिक नेतृत्व का राग अलापने और फिर हार के लिए उन्हें दोषी बताने को लेकर प्रीतम सिंह को निशाने पर लिया। वहीं पलटवार करते हुए प्रीतम सिंह ने हरीश रावत को 2016 में पार्टी में हुई बगावत के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। बड़े नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप के चलते पार्टी के भीतर गुटबाजी सतह पर आ गई है।
मीडिया के प्रश्नों के जवाब में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि नेताओं के मतभेद सामने आना पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को बताता है। उन्होंने स्वीकार किया कि नेताओं की जबानी जंग से पार्टी और उसके कार्यकत्र्ताओं पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे बचा जाना चाहिए। हरीश रावत के पास राजनीति का 50 वर्ष का अनुभव है तो प्रीतम छह बार के विधायक हैं। दोनों नेता पार्टी फोरम में मिल-बैठकर अपने विचार साझा कर सकते हैं। दोनों को ही संयम रखना चाहिए।
मेरे खिलाफ अभियान चलाने वालों पर कार्रवाई हो: हरीश रावत
वहीं प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की नसीहत पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रश्न दागे। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष को उनके खिलाफ अभियान चलाने वालों पर कार्रवाई करें। पार्टी में कोई किसी के विरुद्ध एजेंडा नहीं चला सकता, यह हो रहा है। अध्यक्ष के बगल में बैठकर उनके खिलाफ कव्वाली गाई जा रही है। वह ऐसे व्यक्तियों के नाम भी बता सकते हैं। हरिद्वार में कुछ लोग जगह-जगह जाकर हार का ठीकरा उन पर फोड़ रहे हैं। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
गैरसैंण में 14 को करेंगे सांकेतिक तालाबंदी
हरीश रावत ने कहा कि वह जब तक जिंदा हैं, सरकार को गैरसैंण को भूलने नहीं देंगे। 14 जुलाई को वह गैरसैंण में किसी सरकारी कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी करेंगे। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन सत्र नहीं कराना चिंताजनक है। सरकार ने अपने वायदे को नहीं निभाया।
चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास: करन
कांग्रेस ने उदयपुर में कन्हैया लाल की निर्मम हत्या में शामिल आरोपित और जम्मू-कश्मीर में पकड़े गए आतंकी के भाजपा से संबंधों को लेकर बड़ा हमला बोला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि दोनों ही घटनाओं में भाजपा से जुड़े व्यक्तियों के नाम सामने आना गंभीर है। इससे यह पता चलता है कि चुनाव से पहले भाजपा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करती है। उन्होंने इन दोनों ही प्रकरणों की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराने की मांग की।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में करन माहरा ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की निर्दयतापूर्ण हत्या के आरोपितों में से एक व्यक्ति की भाजपा के बड़े नेताओं से नजदीकी रही। जम्मू-कश्मीर में भाजपा के एक आइटी सेल की कमान आतंकी के पास होना प्रश्नचिह्न लगाता है। मामले की जांच कर रही एनआइए को भाजपा नेताओं के साथ आरोपित और आतंकी
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा देश में आतंक का वातावरण बनाकर मतों के ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। साथ में विपक्ष के नेताओं की छवि खराब करने का सुनियोजित षड्यंत्र किया जा रहा है। उत्तराखंड में भी कई घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देकर झूठ व अर्धसत्य परोस कर भाजपा ने सरकार बनाई। समान नागरिक संहिता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इसी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के उनके संसदीय क्षेत्र को लेकर दिए गए बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। उन्होंनेे कांग्रेस कार्यकर्ताओं, समान विचारधारा वाले दलों का आह्वान किया कि सांप्रदायिक धु्रवीकरण से सरकार बनाने की रणनीति का खुलकर विरोध करें। भाजपा सरकार को श्वेत पत्र जारी कर पिछले पांच सालों में प्रदेश में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में सम्मिलित व्यक्तियों के राजनीतिक दलों से संबंधों के बारे में बताना चाहिए।
कांग्रेस शासित राज्यों में अराजकता का दोष भाजपा पर मढ़ रहा विपक्ष
भाजपा ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के उस बयान को गैरजिम्मेदाराना और तथ्यों से परे बताया है, जिसमें उदयपुर की घटना के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया गया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि उदयपुर ही नहीं अमरावती व अन्य स्थानों पर हुई घटनाएं भी कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति का परिणाम हैं। कांग्रेस अपने शासित राज्यों में हुई अराजकता का दोष अब भाजपा पर मढऩे का प्रयास कर रही है।
भाजपा नेता चौहान ने कहा कि वर्तमान में जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां पुलिस प्रशासन द्वारा एक समुदाय विशेष की गतिविधियों को नजरअंदाज किया जाता है। गहलोत सरकार के कार्यकाल में राजस्थान के अनेक क्षेत्रों में एक पक्ष ने सांप्रदायिक माहौल बिगाडऩे का प्रयास किया, लेकिन वोट बैंक के लालच में कोई कार्रवाई नहीं की गई। उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड में भी ऐसा ही हुआ। वहां पुलिस ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करने पर उसे गिरफ्तार किया, लेकिन धमकी मिलने पर आरोपितों को गिरफ्तार करने के बजाय जबरन समझौता करवा दिया था।
गहलोत सरकार की इस नीति की कीमत कन्हैयालाल को जान देकर चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि यही सब महाराष्ट्र के अमरावती में तत्कालीन उद्धव सरकार के कार्यकाल में हुआ। चौहान ने कहा कि वोट के लालच में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने धर्म आधारित विश्वविद्यालय खोलने का शिगूफा छोड़ा था, जिसकी देवभूमि में कड़ी आलोचना हुई।