हरिद्वार को छोड़ शेष जिलों में अब तक 7283 ग्राम पंचायतों में पंचायत का गठन हो चुका है। अब इन ग्राम पंचायत में नायब मुखिया यानी उपप्रधानों के लिए चुनाव हो रहे हैं। लंबी जिद्दोजहद के बाद इनके चुनाव का कार्यक्रम घोषित हुआ है। उपप्रधान पदों के लिए नामांकन पत्रों की बिक्री शुरू हो चुकी और चुनाव 26 फरवरी को होना है।
मौसम के करवट बदलने के साथ ही उत्तराखंड में हो रही बर्फबारी व बारिश ने भले ही ठिठुरन बढ़ा दी हो, लेकिन अगले कुछ दिनों तक सर्द फिजां में चुनावी गर्माहट घुली रहेगी। इस कड़ी में हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों की 7283 ग्राम पंचायतों में 26 फरवरी को उपप्रधानों के चुनाव का एलान हो चुका है, जबकि तीन मार्च को जिला नियोजन समितियों (डीपीसी) के चुनाव संभावित हैं। ऐसे में साफ है कि फाल्गुनी रंगों के परवान चढ़ने से पहले ग्रामीण इलाकों में चुनावों की धूम रहेगी।
हालांकि, उपप्रधान का चुनाव ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य अपने बीच में से ही करते हैं, लेकिन नायब की कुर्सी के लिए सभी जगह जोड़-तोड़ की कोशिशें शुरू हो गई हैं। ऐसे में गांवों के सर्द माहौल में चुनावी गर्माहट भी घुलने लगी है।
उपप्रधान के चुनाव संपन्न होने के बाद अगला चुनाव भी कतार में है, जो कि खासा महत्वपूर्ण है। यह है जिले के विकास का खाका खींचने वाली समिति यानी डीपीसी का चुनाव। सूत्रों के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग ने तीन मार्च को डीपीसी का चुनाव कराने का प्रस्तावित कार्यक्रम शासन को सौंपा है। इस पर मंथन के बाद करीब-करीब सहमति भी बन चुकी है।