लखनऊ, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार दंगाइयों से और सख्ती से निपटेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक 2022 शुक्रवार को विधानमंडल में पारित हो गया। अब इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जिसके बाद नया कानून लागू होगा। इस कानून में दंगों से किसी की मौत पर उसके आश्रितों को न्यूनतम पांच लाख रुपये मुआवजे का भुगतान भी किया जाएगा।
दंगाइयों से क्षतिपूर्ति के लिए और सख्त कानून जल्द अस्तित्व में आ जाएगा। यूपी सरकार ने सरकारी तथा निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति का दायरा बढ़ाने के साथ किसी हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वालों तथा गंभीर रूप से घायल होने वाले पीड़ितों के लिए मुआवजे की न्यूनतम राशि का भी प्रविधान किया है।
राज्य सरकार ने मूल अधिनियम की धारा-19 में संशोधन करते हुए हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर न्यूनतम पांच लाख रुपये तथा स्थायी दिव्यांगता होने पर न्यूनतम एक लाख रुपये मुआवजा प्रदान कराए जाने की व्यवस्था की है।
पूर्व में दावा प्राधिकरण के समक्ष तीन माह के भीतर मुआवजे के लिए आवेदन करने की व्यवस्था थी, जिसकी अवधि बढ़ा दी गई है। अब तीन वर्ष के भीतर दावा प्रस्तुत किया जा सकेगा। दावा प्राधिकरण को दावा याचिका दाखिल करने में विलंब को माफ करने का अधिकार भी होगा। किसी प्रदर्शन अथवा धरने के दौरान उपद्रव होने की स्थिति में संबंधित कार्यक्रम के आयोजकों को भी आरोपित बनाया जाएगा।
नए कानून के तहत किसी हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान आम लोगों को होने वाले नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी। अब कोई भी याचिका में दावेदार हो सकता है। साथ ही पूर्व से चल रहे दावों की सुनवाई जारी रहेगी। दावा प्राधिकरण किसी मामले का स्वत: संज्ञान भी ले सकेगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश लोक व निजी संपित्त क्षति वसूली विधेयक लागू किया गया था। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा में सार्वजनिक व निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया था। इसके बाद ही राज्य सरकार ने उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति की कसरत शुरू की थी।
दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट में अग्रिम जमानत नहीं
दुष्कर्म व पाक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस) एक्ट के मामलों में आरोपित को अब अग्रिम जमानत नहीं हासिल हो सकेगी। इन गंभीर अपराधों में दोषियों पर शिकंजा कसने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संसोधन) विधेयक-2022 शुक्रवार को विधानमंडल में पारित हो गया। इसे भी मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। विधेयक के तहत अग्रिम जमानत के उपबंध के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438 को संशोधन किया गया है।