गंगा रत्न से सम्मानित प्रगतिशील कास्तकार ओमप्रकाश उत्तरकाशीमें सर्पगंधा जड़ी बूटी उगाकर बेहतरीन प्रयास कर रहे हैं।
उत्तरकाशी डुंडा में सर्पगंधा जड़ी बूटी की खेती कर ओम प्रकाश भट्ट जड़ी बूटी प्रदेश की संकल्पना को धरातल पर उतारकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में जहां जंगली जानवरों के नुक़सान से कास्तकार काफी परेशान हैं व खेती-बाड़ी छोड़ने को मजबूर हैं ऐसे में सर्पगंधा की खेती से ओमप्रकाश भट्ट ने पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि के लिए जड़ी-बूटी उगाने का नया विकल्प पैदा कर चुके हैं। सर्पगंधा जोकि द्बीबीजपत्री औषधीय पौधा है जिसकी ऊंचाई मुख्यता 6 इंच से लेकर 2 फुट तक होती है। इसके फूल मुख्य रूप से गुलाबी और सफेद रंग के ही होते है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम रौवोल्फिया सर्पेन्टाइना है। इसमें में रिसार्पिन तथा राउलफिन नामक उपक्षार पाया जाता है। सर्पगन्धा के नाम से ज्ञात होता है कि यह सर्प के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है। सर्प काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती है। इस पौधे की जड़, तना तथा पत्ती से दवा का निर्माण होता है। इस पौधे पर अप्रैल से लेकर नंवबर तक लाल फूल लगते है। इसकी जड़े सर्पीली होती है। सर्पगंधा औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। यह एक बहुवर्षीय फसल है। इससे अनिद्रा, उन्माद, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, पेट की कृमि, हिस्टीरिया आदि रोगों से निजात पाने के लिए दवाएं तैयार की जाती हैं। इन दिनों आयुर्वेदिक एवं हर्बल दवाओं की मांग बढ़ने के कारण सर्पगंधा की मांग में भी बढ़ोतरी हो रही है। अगर आप भी औषधीय पौधों की खेती करना चाहते हैं। तो सर्पगंधा की खेती पारंपरिक खेती से बेहतर विकल्प है। इसकी खेती करके अच्छी आमदनी ले सकते हैं।