भूमि पर महिलाओं को भी मिलेगा मालिकाना हक
तमाम मामलों में देखा गया है कि महिलाओं को स्वरोजगारपरक योजनाओं में इसलिए बैंक से ऋण नहीं मिल पाता कि भूमि पति के नाम हैं। नतीजतन, स्वरोजगार की इच्छुक महिलाएं आगे कदम नहीं बढ़ा पातीं। इस सबके मद्देनजर अब सरकार भूमि में महिलाओं को भी उनका हक देने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को सतपुली दौरे के दरम्यान कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में महिलाएं यहां के विकास की धुरी हैं। ऐसे में उन्हें भूमि पर हक मिलना चाहिए, जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हों और स्वावलंबी बन सकें।
भूमि पर मालिकाना हक न होने से महिलाओं को स्वरोजगारपरक योजनाओं के तहत ऋण लेने में आ रही कठिनाइयों को सरकार अब दूर करने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को एलान किया कि भूमि पर पुरुष के साथ महिलाओं का भी अधिकार हो, इस संबंध में सरकार जल्द निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भूमि बंदोबस्त की प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जा रही है। इससे भूमि की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। साथ ही संकेत दिए कि भूमि बंदोबस्त के बाद राज्य में पूर्ण चकबंदी लागू की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 1960 के बाद भूमि बंदोबस्त नहीं हुआ है। इससे भी कई दिक्कतें पेश आ रही हैं। बंदोबस्त से यह साफ हो जाएगा कि कौन-कौन कहां काबिज है, किसके पास कितनी भूमि है। भूलेख भी दुरुस्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार सूबे में भूमि बंदोबस्त की प्रक्रिया जल्द शुरू करने जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि हम राज्य में चकबंदी चाहते हैं, लेकिनइसमें बड़ी बाधा भूमि बंदोबस्त न होने के कारण आ रही है। भूमि बंदोबस्त की कार्रवाई पूरी होने के बाद चकबंदी की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यवासियों को स्वरोजगार देने के मकसद से शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 150 कार्य शामिल किए गए हैं। नागरिकों के सुझाव मिलने पर इसमें और कार्य भी शामिल किए जाएंगे।