उत्तराखंड सरकार एक्शन में सात दिन में करेगी सारे श्रम सुधार
प्रदेश अब ऊर्जा प्रदेश की जगह पर्यटन प्रदेश है। कहा कि सरकार मुख्यमंत्री राहत कोष के एक-एक पैसे का हिसाब लोगों के सामने रख रही है। सीएम ने बताया कि कैसे राज्य के गठन के बाद से अब राज्य की वैचारिक पृष्ठभूमि में बदलाव हुआ है।
सात दिन में होंगे बचे हुए सारे श्रम सुधार
पिछले कई सालों से प्रदेेश में श्रम सुधार के तहत नियम, कानूनों को बदला जा रहा है और नए नियम बनाए जा रहे हैं। अब भी 15 सुधार बाकी हैं। कोविड काल में कारखानों को फिर से पनपने देने के लिए सरकार बाकी बचे हुए सारे श्रम सुधारों पर फैसला लेकर सात दिन के अंदर केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी। यह प्रस्ताव मंत्रिमंडल में आएगा। सरकार ने राज्य में औद्योगिक मैत्री वातावरण बनाने का काम किया। हमने इन्वेस्टर को दोस्त की तरह देखा।
प्रकृति ने उत्तराखंड को पर्यटन के लिए ही बनाया है, अब साहसिक पर्यटन ही भविष्य
राज्य गठन के समय सोचा गया था कि प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश बनाया जाए। अनुभव में आया कि इसमें कई समस्याएं हैं। उत्तराखंड को प्रकृृृति ने पर्यटन के लिए बनाया है। एक स्टडी में सामने आया कि भविष्य का पर्यटन साहसिक पर्यटन ही है।
इसका बहुत फैला हुआ आयाम है। चाहे फिर वह वाइट वाटर राफ्टिंग हो, सर्किट टूरिज्म हो, सांस्कृतिक पर्यटन हो, बर्ड वाचिंग हो या कुछ और। हमने इसके लिए एक अलग से एडवेंचर विंग बनाई है और एक अखिल भारतीय स्तर के अधिकारी को इसका जिम्मा सौंपा है। यह अधिकारी देश-दुनिया की सर्वेश्रेष्ठ व्यवस्थाओं की सरकार को जानकारी देगा।
पर्यावरण संरक्षण के श्रेष्ठ मानक अपनाएं उद्योग
पर्यटकों को साफ हवा-पानी चाहिए। आज से 15 साल पहले मैंने एक उद्योग में देखा था कि उपयोग होने के बाद निकला हुआ गंदा पानी इतना साफ होता था कि इंजीनियर उसे पी लेता था। हम अपने उद्योगों में ये मानक लागू क्यों नहीं कर सकते। प्रकृति का संरक्षण होना चाहिए।
हर प्रवासी का डाटा, हर प्रवासी को काम
प्रदेश में सवा तीन लाख से अधिक प्रवासी लौटे हैं। हर प्रवासी की शैक्षिक योग्यता, कुशलता आदि का डाटा है। फंड की कमी नहीं है। हर प्रवासी के लिए हमारे पास काम है। कोशिश है कि जो वापस आया है, यहीं रहे। पोर्टल भी इसीलिए बनाया गया है ताकि उद्योग प्रवासियों से संपर्क कर सकें।
उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की। प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना में जो काम रह गए थे, वे सभी काम मुख्यमंत्री योजना में शमिल किए गए हैं। कई योजना अभी प्रक्रिया में हैं। कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं है जो इसमें शामिल न किया गया हो। डायरेक्ट मार्केटिंग शुरू की गई है। बिचौलियों को हटाया गया है। 670 ग्रोथ सेंटर बनाने की योजना है। लोग चाहें तो सामूहिक रूप से भी इस योजना में काम कर सकते हैं।
लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश, सीएम राहत का पूरा ब्योरा रखा सामने
महामारी कई तरीके से समाज को तोड़ने का काम करती है। इस महामारी में लोगों का विश्वास जीतने के लिए ही सीएम राहत कोष के एक-एक पैसे का हिसाब सबके सामने रखा। कोविड संक्रमण रोकने की पूरी तैयारी की गई। कोविड का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था।
आज हमारे पास कोविड केयर में 22 हजार बेड हैं। कुल 200 लोग ही इनमें भर्ती हैं। टेस्टिंग सेंटर छह-सात हो चुके हैं। बाहर से भी टेस्ट करवा रहे हैं। वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाई गई है। 400 डाक्टर और तैनात किए गए। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने सबसे पहले वर्क फ्रॉम होम लागू किया।
कोविड की जो मार है वह इतनी गतिशील है कि हम नहीं जानते कि वह कब तक जारी रहेगी। हमारी कोशिश है कि राज्य में लोगों को दो समय का भोजन मिलता रहे। महामारी में सामाजिक, आर्थिक तमाम तरह की विकृतियां सामने आती हैं। सरकार की कोशिश है कि कैसे इन विकृतियों से समाज को बचाया जाए। यह बुरा दौर है, गुजर जाएगा, हर रात के बाद दिन भी आता है।