चुनावी मोड में त्रिवेंद्र सरकार, रिपोर्ट कार्ड जारी कर सीएम ने दिए संकेत, तैयारी का बचा अब एक साल
जानकारों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के दौर ने सिर्फ आर्थिक और सामाजिक हालातों को ही प्रभावित नहीं किया है। इसने राजनीतिक स्थितियों पर भी असर डाला है। इस नई तरह की चुनौती के बीच मुख्यमंत्री को अपनी सरकार के साढ़े तीन साल पूरे होने पर अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड लेकर प्रस्तुत होना पड़ा। ऐसा करके उन्होंने चुनावी मोड में आ जाने के संकेत जाहिर कर दिए हैं।
कोरोनाकाल में जिस तेजी के साथ छह महीने निकल गए, अगला एक साल कब आकर चला जाएगा, शायद इसका अदांजा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हो गया है। वरना अब तक परंपरा यही रही है कि सरकारें एक साल में अपने कामकाज की रिपोर्ट पेश करती हैं।
सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रही कांग्रेस लगातार हमलावर है। उसके सभी शीर्ष नेता प्रदेश भर में जाकर भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार पर निशाने साध रहे हैं। विरोधियों के सवालों और हमलों के बीच मुख्यमंत्री ने भी सरकार की उपलब्धियों, पूरे किए गए वादों और नई घोषणाओं के जरिये इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह भी चुप बैठने वाले नहीं हैं। उनका यह अंदाज सरकार के चुनावी मोड में आ जाने को जाहिर कर रहा है।
पिछले दिनों भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कोर कमेटी की बैठक में जुुटा था। वहां भी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की यही राय थी कि अब संगठन और सरकार को मिशन 2022 को ध्यान में रखकर कदम बढ़ाने होंगे। संगठन के स्तर पर रणनीति तैयार हो रही है। सरकार के स्तर पर दारोमदार मुख्यमंत्री के कंधों पर है।
लिहाजा सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री अब फटाफटा फैसले लेते दिखेंगे। उन्होंने रिपोर्ट कार्ड के जरिये अटल आयुष्मान योजना, रोजगार, पलायन, गैरसैंण, सुशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, खेती, किसानी तबादला कानून से जुड़े फैसलों को बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया। लेकिन यही वे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर विरोधी हल्ला मचा रहे हैं।
कांग्रेस से लेकर तमाम छोटी-बड़ी पार्टियां इन्हें पैनों तीरों में बदलकर अपने तरकश में डाल रही हैं ताकि चुनाव पास आने पर इन्हें छोड़ा जा सके। त्रिवेंद्र और उनकी पार्टी के सामने कोरोनाकाल की बंदिशों के बीच विरोधियों के इन तीरों को नाकाम करने की चुनौती है। मुख्यमंत्री का अंदाज शायद यही बयान कर रहा है कि उन्होंने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं।