आदमखोर बाघिन का हुआ अंत वन कर्मियों एवं ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
रामनगर क्षेत्र में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आस पास बसे गांवों को कई दिनों से आतंक का पर्याय बनी आदमखोर बाघिन को वन विभाग की टीम और शिकारियों गोली से ढेर कर दिया।
नैनीताल। रामनगर क्षेत्र में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आस पास बसे गांवों को कई दिनों से आतंक का पर्याय बनी आदमखोर बाघिन को वन विभाग की टीम और शिकारियों गोली से ढेर कर दिया। किसी आदमखोर वन्यजीव को जिंदा या मुर्दा काबू करने का देश का यह पहला बड़ा ऑपरेशन था, जो 45 दिन चला। आदमखोर को खोजने के लिए पहली बार हेलीकॉप्टर और डे-नाइट विजन वाले ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। ऑपरेशन बाघिन में वन विभाग के 150 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी व शिकारी लगाए गए थे। बाघिन की खोज में प्रशिक्षित कुत्तों का भी सहारा लिया गया।
आदमखोर बाघिन इतनी चालाक थी कि कई बार घेराबंदी में आने के बाद भी वह शिकारियों को चकमा देने में कामयाब रही। ऑपरेशन बाघिन के 44वें दिन ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी भी निराश हो गए थे। ग्रामीणों ने थक-हार कर बुधवार को विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया, जिसमें देवी मां से आदमखोर से निजात दिलाने की प्रार्थना की गई। इस अनुष्ठान में प्रभागीय वनाधिकारी कहकशां नसीम भी मौजूद रहीं थी। बेशक यह संयोग हो लेकिन बुधवार की शाम अचानक बाघिन दिख गई और शिकारी दल ताबड़तोड़ फायर कर बाघिन को घायल करने में कामयाब रहा।
45 वें दिन गुरुवार सुबह बाघिन गोरखपुर गांव के नाले के समीप दिखी। देखते ही वनकर्मियों ने फायरिंग शुरू कर दी, शिकारी लखपत सिंह के सहायक हरी सिंह ने सिर में गोली मार दी। बाघिन ने मौके पर दम तोड़ दिया। विभागीय टीम तुरंत शव को लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बिजरानी जोन चली गई। जहां वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते, डीएफओ कहकशां नसीम, एसडीओ कलम सिंह बिष्ट, प्रकाश आर्य की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया गया।