बारिश और बर्फबारी बनी वैज्ञानिकों के लिए चिंता

देहरादून। मार्च के मौसम में बारिश और बर्फबारी पर वैज्ञानिकों ने भी चिंता जताई है। उनका मानना है कि मौसम परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के कारण इस बार मार्च के दूसरे हफ्ते तक बारिश होती रही। यही नहीं, इस बार उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी ने भी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। उनका कहना है कि आने वाली गर्मियों और बरसात के में भी इस तरह की अनिश्चितता बरकरार रह सकती है।

हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों पर लंबे समय से काम कर रहे जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी कटारमल के वरिष्ठ वैज्ञानिक इंजीनियर किरीट कुमार का कहना है कि मौसम परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के कारण पूरे विश्व में मौसम में इस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

इस बार उत्तराखंड में दिसंबर आखिर से बारिश होना शुरू हुई और पश्चिमी विक्षोभ के कारण मार्च दूसरे सप्ताह तक लगातार रुक-रुककर बारिश होती रही है। बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में इस बार जाड़ों में अब तक करीब 20 से अधिक बार बर्फबारी हो चुकी है, जो रिकॉर्ड है।

उन्होंने बताया कि अगले साल भी मौसम इसी तरह रहेगा, ऐसा कहना कठिन है लेकिन इस तरह की अनिश्चितताएं लगातार सामने आएंगी। क्लाइमेट चेंज के कारण गर्मियों में लंबे समय तक बारिश का अभाव हो सकता है और बरसात का सीजन भी पीछे खिसकने की आशंका है।
मौसम परिवर्तन के प्रभावों के चलते कभी बहुत अधिक बारिश होने अथवा कभी लंबे समय तक बारिश नहीं होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन के कारण इस तरह की असमान्य प्राकृतिक स्थितियां आगे भी सामने आती रहेंगी। किरीट कुमार ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग मौसम परिवर्तन के प्रभावों का एक हिस्सा है।

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