मुंबई। शिवसेना ने गोवा में नेतृत्व को लेकर भाजपा और उसके सहयोगियों के बीच हुए राजनीतिक नाटक की बुधवार को कड़ी आलोचना की और इसे ‘‘लोकतंत्र की दुर्दशा’’ करार दी। शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पार्थिव देह की राख ठंडी होने का भी इंतजार नहीं किया। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि पर्रिकर के पार्थिव शरीर की राख के गोमांतक की भूमि में विलीन होने से पहले ही ‘‘सत्ता का शर्मनाक खेल’’ आरंभ हो गया। शिवसेना ने दावा किया कि यदि भाजपा ने मंगलवार तक प्रतीक्षा की होती, तो गोवा में उसकी सरकार गिर गई होती, दो उप मुख्यमंत्रियों में से एक कांग्रेस में शामिल हो गया होता और उसे अपना मनचाहा पद मिल गया होता।
सावंत (45 वर्ष) ने सोमवार देर रात गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। इससे पहले भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत का लम्बा दौर चला था। पार्टी सूत्रों ने बताया कि सहयोगियों के साथ सत्ता समझौते को लेकर बनी समझ के तहत समर्थन देने वाले दोनों छोटे दलों के एक-एक विधायक को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। उप मुख्यमंत्री बनाए जाने वाले विधायक जीएफपी प्रमुख विजय सरदेसाई तथा एमजीपी विधायक सुदिन धावलिकर हैं। पार्टी ने कहा, ‘‘अंतत: ताक लगाकर बैठे बिल्ले की तरह अपना अपना हिस्सा लेकर सोमवार आधी रात के बाद यह खेल समाप्त किया गया। अपने दो उपमुख्यमंत्रियों के साथ सावंत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।’’ उसने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र की दुर्दशा है। उन्हें पर्रिकर की चिता ठंडी होने का इंतजार करना चाहिए था। यदि उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के लिए मंगलवार सुबह तक का इंतजार किया होता तो क्या हो जाता?’’
शिवसेना ने कहा कि चिता जल रही थी और ‘‘सत्ता के लोभी’’ सत्ता के लिए एक दूसरे की गर्दन पकड़ रहे थे। कम से कम चार घंटे इंतजार करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए थी। उसने कहा, ‘‘गोवावासी आज भी शोक में है। पूर्व रक्षा मंत्री के निधन के बाद एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, लेकिन इन लोगों को राष्ट्रध्वज के आधा झुका होने की सुध भी नहीं थी।’’ शिवसेना ने दावा किया भाजपा ने चार साल पहले घोषणा की थी कि उसके शासन वाले किसी राज्य में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं होगा, इसलिए शिवसेना को यह पद नहीं दिया गया। बाद में बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और गोवा में उपमुख्यमंत्री नियुक्त किए गए।