अनूठी वाटिका बनी आकर्षण का केंद्र

देहरादून। अभी भाषणों, संदेशों और गीतों के जरिये सर्वधर्म सम्भाव का संदेश दिया जाता है, अब वनस्पतियां भी सर्वधर्म सम्भाव का संदेश देंगी।

वन अनुसंधान हल्द्वानी नर्सरी में ‘अनूठी वाटिका’ तैयार कर रहा है, जहां हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध धर्म की मान्यताओं से जुड़े पौधों की प्रजातियों को एक साथ लगाया जा रहा है।

इससे वाटिका में आने वाले लोग अन्य धर्मों के लिए महत्व वाली प्रजातियों के बारे में जान सकेंगे।

वनस्पतियों का हमारे में जीवन से गहरा नाता

 वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी के अनुसार वनस्पतियों का हमारे में जीवन से गहरा नाता रहा है।  ऐसे में आस्था के साथ लोगों को वनस्पतियों के संरक्षण से जोड़ने के लिए एक खास वाटिका बनाने की योजना बनाई गई है।

अनुसंधान की नर्सरी को और विकसित किया जा रहा है, जिससे लोग हमारी समृद्ध जैव विविधता के बारे में जान सकें। वाटिका में लगीं प्रजातियों के साथ उनके गुणों के बारे में भी बताने की भी व्यवस्था की जा रही है। ये प्रजातियां आस्था, परंपराओं के साथ कैसे जुड़ीं हैं, इसका भी उल्लेख किया जाएगा।

इन प्रजातियों को लगाया गया

वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट के अनुसार हिंदू धर्म में केला, नीम, कृष्णनाई वट, बांस, वैजयंती माला, मुस्लिम धर्म में अंजीर, खजूर, जैतून, अनार की प्रजाति, ईसाई धर्म में विलायती बबूल, रक्त चंदन, सलई गुगल, बादाम, बुद्ध धर्म में सीता-अशोक और बरगद, जैन धर्म में बेल, कदम्ब, पीपल, इमली और आम आदि प्रजाति का महत्व है।

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