देहरादून। हिमालयी क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों (जल, जंगल, जमीन और जैव विविधता) के संरक्षण के प्रति आम नागरिक की भूमिका पर डीपीएमआई कॉलेज संस्थान नेहरू कालोनी में किया गया। इस जन संवाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी व अध्यक्षता संस्थान के निदेशक नरेंद्र सिंह की उपस्थिति में जन संवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों के साथ संस्थान के छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चन्द्र सोनी ने कहा कि हिमालय हमारी प्राकृतिक संपदा हैं जिससे जीवन दायनी नदियों का उदगम हुआ हैं और हम हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगो के लिए जल भंडार की तरह है। हिमालय के होने से जलस्रोतों का जल स्तर बढा है। उससे जंगलों में नाना प्रकार की वनस्पति उगी हैं। उन वनस्पतियों के उगने से जंगलों में विचरित करने वाले जंगली जानवरों को भोजन मिलता हैं और पशु पालको के पशुओ के लिए घास की पूर्ति होती हैं। पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाले लोगो के जल, जंगल व जमीन मूलभूत आवश्यकता हैं। जल, जंगल व जमीन बचाने के लिए बड़े बड़े आंदोलन हुए है उन आंदोलनो का मकसद बदलते वातावरण के दशाओं को रोककर पर्यावरणीय संतुलन बनाना था। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े और वे खुशहाल जीवन जी सकें। इसलिए जल, जंगल व जमीन बचाना हम सब का कर्तव्य हैं ।
वहीं नरेन्द्र सिंह (निदेशक डीपीएमआई संस्थान) ने जन जन से पौधारोपण करके बदलते वातावरण के दशाओ को रोकने की अपील की। उन्होंने कहा कि जन जागरूकता से लोगो को हम जागरूक व प्रेरित कर रहे है। ताकि एक सुसज्जित समाज बन सके। इस कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने पर प्रशस्ति पत्र व तुलसी का पौधा उपहार में भेंट कर वृक्षमित्र डॉ. सोनी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता मनीष काला, संदीप चमोली, हरीश रावत, जयकृत कांडपाल, नवनीत कुकरेती, वीरेन्द्र रावत, बलवंत सिंह बिष्ट एवं हरीश रावत उपस्थित रहे। वहीं सभा का संचालन राजेश चमोली ने किया।