उत्तराखंड में अवस्थापना विकास बना मुसीबत

देहरादून। तमाम दावों के बीच उत्तराखंड के लिए अवस्थापना विकास ही सबसे बड़ी परेशानी बनकर उभरा है। नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2018 में यही लक्ष्य है जिसमें उत्तराखंड सबसे अधिक पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है।

आश्चर्यजनक रूप से प्रदेश ने निर्मल जल और स्वच्छता के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है। कुल 13 लक्ष्यों में से यही सूचकांक है जिसमें उत्तराखंड का प्रदर्शन प्रदेश के अन्य लक्ष्यों से बेहतर रहा है। समग्र रूप से उत्तराखंड की रैंकिंग 11वीं है।

राज्य गठन के समय  से ही अवस्थापना विकास प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जाता रहा है। राज्य और केंद्र ने इस बार इस पर फोकस भी किया हुआ है। सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए बारहमासी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस सड़क के निर्माण कार्य की निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय भी कर रहा है। इसी तरह औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए औद्योगिक समिट सहित अन्य प्रयास भी किए गए।

नीति आयोग की ओर से तैयार कराए गए अवस्थापना विकास, उद्योग और नवाचार सूचकांक के मुताबिक कुल 33 अंकों के साथ उत्तराखंड इस वर्ग में देश में 14वें नंबर का राज्य है। उत्तराखंड के लिए संतोष की बात यह है कि आर्थिक विकास के मोर्चे पर प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर है। राज्यों में 11वें नंबर पर रहते हुए भी प्रदेश ने इस मोर्चे पर 67 अंक हासिल किए और नीति आयोग की निगाह में प्रदेश दौड़ में सबसे आगे रहने वाले राज्यों में हैं।

उत्तराखंड ने निर्मल जल और स्वच्छता में अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। इस वर्ग में प्रदेश ने 78 अंक लेकर सातवां स्थान हासिल किया है। नीति आयोग के मुताबिक प्रदेश में सभी जिले ओडीएफ हैं और प्रदेश के सभी परिवार शत प्रतिशत खुले में शौच करने की बाध्यता से मुक्त हैं।

क्या है तस्वीर 
गरीबी मिटाना 65
भुखमरी खत्म करना 53
अच्छा स्वास्थ्य 36
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 68
निर्मल जल और स्वच्छता 78
स्वच्छ ऊर्जा 55
आर्थिक विकास 67
अवस्थापना विकास 33
समग्र सूचकांक 60

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