नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने लड़ाकू विमान राफ़ेल की खरीद के सौदे में कथित अनियमितताओं का हवाला देते हुए कहा है कि वह इस सौदे को उच्चतम न्यायालय मे चुनौती देंगे। सिंह ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि अदालत में याचिका दायर करने के पहले वह रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को अपने वकीलों के माध्यम से क़ानूनी नोटिस भेज रहे हैं। इसमें उनसे पूछा गया है कि राफ़ेल विमान की ख़रीद से जुड़े तथ्यों की ग़लत जानकारी देकर देश को गुमराह क्यों किया गया।
सिंह ने कहा कि नोटिस का तीन दिन के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वह उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि सीतारमण से इस सौदे में उद्योगपति अनिल अंबानी की कम्पनी रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर बनाने का भी कारण पूछा गया है। क्योंकि सरकार की अपनी ही रक्षा खरीद नीति 2013 में किसी रक्षा सौदे में सिर्फ योग्य उत्पादक कंपनी को ही ऑफसेट पार्टनर बनाने की अनिवार्यता का स्पष्ट उल्लेख है। वहीं, अंबानी की कंपनी के पास रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है।
सिंह ने कहा कि याचिका में अदालत से सरकार द्वारा 23 मार्च 2016 को किए गए राफ़ेल सौदे को रद्द कर उसी पुराने सौदे को बहाल करने की मांग करेंगे जिसमें रक्षा उत्पाद कंपनी एचएएल को शामिल किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने उद्योगपति अनिल अम्बानी की कम्पनी रिलायंस डिफ़ेंस को लाभ पहुँचाने के लिए पुराने सौदे को रद्द कर नया सौदा किया है।
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की ओर से इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करने के सवाल पर आप सांसद ने कहा, ‘जेपीसी के गठन के लिये संसद का अगला सत्र आहूत होने का इंतजार करना पड़ेगा। इसलिये मामले की गंभीरता को देखते हुये हमने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने के लिये अदालत का रुख करने का फैसला किया है।’
इस दौरान सिंह ने सरकारी बैंकों के बड़े बकायेदारों का देश छोड़कर भागने का सिलसिला नहीं रुकने का मुद्दा उठाते हुये कहा कि ललित मोदी से लेकर संदेसरा बंधुओं तक लगभग सभी बड़े बकायेदार गुजरात से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह संयोग मात्र नहीं है बल्कि मोदी सरकार इन बकायेदार उद्योगपतियों को देश छोड़कर भागने में मदद कर रही है।