देहरादून। निजी स्कूलों की मनमानी पर प्रदेश सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। जिन निजी स्कूलों ने बढ़ी हुई फीस वसूली है, उन्हें वह अभिभावकों को लौटानी होगी। सरकार ने इसकी निगरानी के लिए डीएम को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। देहरादून में सीबीएसई एवं आइसीएसई से संबद्ध करीब 500 निजी स्कूल हैं। कई स्कूलों की ओर से चालू शिक्षा सत्र के दौरान नए दाखिले के नाम पर अभिभावकों से अधिक फीस वसूली गई। जिसे लेकर अभिभावकों ने विरोध-प्रर्दशन तक किए और इसकी शिकायत शिक्षा विभाग तक से की। लेकिन, स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
एक कार्यक्रम में कई अभिभावकों ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर सवाल किए। तर्क दिया कि प्रदेश सरकार ने इस वर्ष पहली से 12वीं तक के सभी स्कूलों में एनसीईआरटी पुस्तकें अनिवार्य करने का आदेश दिया। लेकिन, कई स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबों के साथ निजी प्रकाशकों की पुस्तकें भी मंगवाई, जिससे अभिभावकों पर दोहरा बोझ पड़ा। कुछ स्कूलों ने दाखिले के दौरान बढ़ी हुई फीस वसूली।
अभिभावकों ने सवाल पूछा कि बेलगाम होते निजी स्कूलों पर सरकार कब तक कार्रवाई करेगी। अभिभावकों ने दिल्ली सरकार की निजी स्कूलों के खिलाफ दृढ़ इच्छाशक्ति का उदाहरण भी दिया। अभिभावकों के सवालों का जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री ने बढ़ी फीस वापस करने का लोगों को न केवल आश्वासन दिया, बल्कि कहा कि सरकार इस विषय पर गंभीरता से कार्य कर रही है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 575 निजी स्कूलों को बढ़ी हुई फीस वापस करने के निर्देश दिए थे। स्कूलों ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का हवाला देते हुए अधिक फीस वसूली थी। केजरीवाल सरकार ने इसके साथ ही स्कूलों को जून 2016 से जनवरी 2018 तक वसूली गई बढ़ी हुई फीस नौ फीसद ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिए थे।