देहरादून। निजी स्कूलों को कर में मिलने वाली 30शुक्रवार को विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्यों के प्रतिनिधिमंडल ने बाल आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष से स्कूलों के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया। इस पर नेगी ने कहा कि चेरिटेबल एक्ट में पंजीकृत स्कूल एवं सोसायटी आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए शिक्षा का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
इसमें वार्षिक शुल्क वृद्धि, डेवलपमेंट, एसी, स्पोर्ट्स शुल्क लेना गैरकानूनी है। कहा कि एक्ट में स्कूलों को 30 फीसद कर में छूट की व्यवस्था है। इस राशि का उपयोग गरीब बच्चों की शिक्षा में करना होता है। लेकिन, स्कूलों में यह राशि निजी हितों में व्यय की जा रही है। यह नियमों का साफ उल्लंघन है। फीसद की छूट का पैसा गरीब बच्चों की शिक्षा में खर्च नहीं करने पर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने है। आयोग ने कहा कि स्कूल कर में मिलने वाली छूट का दुरुपयोग कर रहे हैं। यदि इस मामले में स्कूलों की ओर से लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शुक्रवार को विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्यों के प्रतिनिधिमंडल ने बाल आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष से स्कूलों के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया। इस पर नेगी ने कहा कि चेरिटेबल एक्ट में पंजीकृत स्कूल एवं सोसायटी आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए शिक्षा का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
इसमें वार्षिक शुल्क वृद्धि, डेवलपमेंट, एसी, स्पोर्ट्स शुल्क लेना गैरकानूनी है। कहा कि एक्ट में स्कूलों को 30 फीसद कर में छूट की व्यवस्था है। इस राशि का उपयोग गरीब बच्चों की शिक्षा में करना होता है। लेकिन, स्कूलों में यह राशि निजी हितों में व्यय की जा रही है। यह नियमों का साफ उल्लंघन है।
आयोग की अध्यक्ष ने मिशनरी संस्थाओं को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मिशनरी संस्थाओं में बड़े स्तर पर शिक्षा के नाम पर लूट हो रही है। मिशनरी संस्थाएं कहती हैं कि उन पर सरकार का कोई नियम लागू नहीं होता, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अध्यक्ष ने साफ कहा कि चैरिटेबल एक्ट में पंजीकृत मिशनरी संस्थाओं पर भी सभी नियम लागू होते हैं। अगर कहीं भी उल्लंघन होगा तो निसंकोच कार्रवाई की जाएगी।