नयी दिल्ली। एशियाई खेलों में दो रजत पदक जीतने वाली फर्राटा धाविका दुती चंद ने कहा कि उनका अगला लक्ष्य ओलंपिक खेलों में देश के लिए पदक जीतना है। एशियाई खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में दो पदक जीतकर पीटी उषा, ज्योर्तिमय सिकदर जैसी एथलीटों की श्रेणी में शामिल होने वाली दुती ने कहा कि इस जीत के बाद अब वह और कड़ा अभ्यास करेंगी ताकि ओलंपिक में पदक जीतने का सपना पूरा हो सके।
दुती चंद ने जकार्ता में चल रहे एशियाई खेलों में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ और 100 मीटर में रजत पदक अपने नाम किया। वह इन दोनों स्पर्धाओं में बहरीन की एडिडियोंग ओडियोंग से पिछड़ गयी। उन्होंने स्वदेश लौटने के बाद कहा, ‘इस साल अब कोई बड़ी प्रतियोगिता नहीं है और ओलंपिक के लिए मेरे पास दो साल का समय है। ओलंपिक से पहले अगले साल एशियाई चैम्पियनशिप में भी भाग लेना है। इन दो वर्षों में मैं पूरी जी-जान से अभ्यास करूंगी ताकि देश का नाम ओलंपिक में भी ऊंचा कर सकूं।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे कड़ा प्रशिक्षण करना है और उसके लिए जरूरी चीजें मुझे मुहैया करायी जा रही है , ऐसे में जाहिर है प्रदर्शन अच्छा होगा।’ यहां कलिंगा औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान (केआईएसएस) द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में पहुंची ओडिशा की इस एथलीट ने कहा कि देश में भी प्रतियोगिता काफी बढ़ गयी है जिसका असर सभी एथलीटों के प्रदर्शन पर दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि 200 मीटर में हिमा के अयोग्य करार दिये जाने का उन्हे दुख हुआ था। उन्होंने कहा, ‘हिमा को समझना होगा कि 100 और 200 मीटर में कोई जोखिम नहीं ले सकते। मैंने उससे इस बारे में बात की थी। अगर वह अयोग्य नहीं होती तो हम 200 मीटर में दो पदक जीत सकते थे।’ दुती की इस सफलता पर राज्य सरकार ने उन्हें तीन करोड़ रुपये (एक पदक के लिए डेढ करोड़ रुपये) नकद पुरस्कार और अभ्यास तथा प्रशिक्षण का खर्च उठाने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि अब इस घोषणा के बाद मैं खुले दिमाग से अभ्यास कर सकूंगी। दुती ने कहा कि 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक चूकने का उन्हें मलाल रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हीट में मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था और पहले स्थान पर रही थी। सेमीफाइनल में भी अच्छा प्रदर्शन किया और फाइनल में एक सेकंड से भी कम समय से पदक चूक गयी। यह पदक मैं अपनी लंबाई के कारण चूक गयी।’
दुती ने हालांकि कहा कि उनकी लंबाई थोड़ी कम जरूर है लेकिन रफ्तार ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सभी के शरीर की बनावट अगल होती है, मेरी लंबाई कम जरूर है लेकिन रफ्तार ज्यादा है। प्रशिक्षण में मैं इस चीज पर ध्यान दूंगी। इस 22 वर्षीय फर्राटा धाविका को आईएएएफ की हाइपरड्रोजेनिज्म नीति के कारण 2014-15 में खेलने की अनुमति नहीं दी जिसके कारण वह 2014 राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में भाग नहीं ले पायी। उन्होंने खेल पंचाट में यह मामला उठाया और आखिर में उनके पक्ष में फैसला आया।
दुती ने कहा कि वे तीन-चार साल उनके लिए सबसे मुश्किल भरा समय था जिसमें गोपीचंद अकादमी से उन्हें काफी मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘हाइपरड्रोजेनिज्म नीति के खिलाफ जब मैं अदालत में मामला चल रहा था तो मैं अपने खेल पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थी। 2014 में मुझे शिविर से निकाल दिया गया, स्पोर्ट्स हॉस्टल में भी नहीं रहने दिया गया प्रशिक्षण में बहुत परेशानी हो रही थी। ऐसे में गोपीचंद भईया (पुलेला गोपीचंद) ने मुझे अकादमी में बुलाया जहां मैंने अपना प्रशिक्षण जारी रखा। जिसके कारण वापसी के बाद मुझे बहुत ज्यादा परेशानी नहीं हुई।’