पतंजलि संन्यास आश्रम में संन्यास दीक्षा महोत्सव में रामनवमी के अवसर पर स्वामी रामदेव ने 100 युवाओं को संन्यास की दीक्षा दी। वीआईपी घाट पर दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि आरएसएस प्रमुख मोहन पहुंचे हैं। साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी महोत्सव में पहुंचे और यज्ञ में भाग लिया। उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन भी किया। योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा यह दूसरा संन्यास दीक्षा कार्यक्रम है। इसमें 60 बालकों और 40 बालिकाओं को सन्यास दीक्षा व 500 लोगों को ब्रह्मचर्य दीक्षा दी गई।
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि वे काफी समय से हरिद्वार आते रहे हैं। संघ प्रचारक होने के नाते बैठकों में आना पड़ता था। आज के मुकाबले पहले देश में हालात बहुत खराब थे और इससे चिंता होती थी। उन्होंने कहा कि हम भी एक संकल्प लेकर चले लेकिन तब ऐसा वातारण नहीं था।
मन में चिंता और ऊपर से गर्मी में तपने पर गंगा माता को नमन कर जल में बैठ जाते थे। गंगा के प्रवाह को देखकर मन को सुकून मिलता था। फिर जाकर काम पर लग जाते थे। आज उसी प्रवाह के साथ युवा संन्यासियों की साक्षात अनुभूति हो गई है। मन पूर्णतया आश्वस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि संन्यास दीक्षा लेने वालों से बड़ा त्याग उनके माता-पिता का है। जिन्होंने पाल-पोसकर देश, धर्म, संस्कृति और मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।
आरएसएस के प्रमुख ने कहा कि नई पीढ़ी के लोग हाथ में कंकड़ बांधकर आगे बढ़ रहे हैं। धर्म, संस्कृति के लिए खुद को समर्पित कर रहे हैं। भागवत ने कहा कि युवा संन्यासियों को उसी शरीर में एक नया रूप मिला है। शरीर, बुद्धि और व्यक्तित्व की सारी मर्यादाओं से ऊपर उठकर परमात्मा को अपने में स्थापित करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संन्यास की दीक्षा लेने वाले युवाओं ने समाज, राष्ट्र, मानवता की सेवा का जो दृढ़ संकल्प लिया है वह सत्य और शिव संकल्प है।