मुंबई। जानीमानी अदाकारा स्वरा भास्कर ने विवादित फिल्म ‘पद्मावत’ में सती प्रथा और जौहर प्रथा को ‘‘बिना सोचे-समझे महिमामंडित’’ करने को लेकर फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की आलोचना की है। स्वरा ने भंसाली को एक खुला पत्र लिखा है जिसे खबरिया वेबसाइट ‘दि वायर’ ने प्रकाशित किया है। पत्र में 29 साल की स्वरा ने पुराने जमाने के आपराधिक रीति-रिवाजों को महिमामंडित करने की निंदा की है।
बॉलीवुड अभिनेत्री ने कहा कि वह भंसाली का सम्मान करती हैं और ‘गुजारिश’ फिल्म में उनके लिए काम भी कर चुकी हैं, लेकिन उन्होंने देश के कानूनों पर सवाल उठाने की खतरनाक परंपरा शुरू की है। स्वरा ने लिखा, ‘‘आजाद भारत में भारतीय सती रोकथाम कानून-1988 ने सती की मदद करने, उसे उकसाने और उसे महिमामंडित करने के किसी भी स्वरूप को और बड़ा अपराध बना दिया है। आपने बगैर सोचे-समझे इस पुरुषवादी आपराधिक प्रथा को जिस तरह महिमामंडित किया है, उस पर आपको जवाब देना चाहिए सर। टिकट खरीदकर आपकी फिल्म देखने वाली दर्शक होने के नाते मुझे आपसे पूछने का हक है कि आपने यह कैसे किया और क्यों किया।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘फिल्म के क्लाइमेक्स में दिखाया गया है कि लाल परिधान पहनी ढेरों महिलाएं अपनी मौत की तरफ कदम बढ़ा रही हैं और इस दृश्य ने पहले तो दर्शकों को अवाक कर दिया, लेकिन फिर वे इसे मंत्रमुग्ध होकर देखते रहे।’’
स्वरा ने कहा, ‘‘आपका सिनेमा प्रेरणादायक, भावनात्मक और शक्तिशाली है। यह दर्शकों को भावुक उतार-चढ़ाव से भर सकता है। यह सोच को प्रभावित कर सकता है और फिल्म में आपने जो कुछ किया है और कह रहे हैं, उसके लिए आप जिम्मेदार हैं।’’ उन्होंने कहा कि सती जैसी प्रथाएं और महिलाओं से बलात्कार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
स्वरा ने दोनों अपराधों के बीच के समानांतर पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि सती या जौहर फिल्माए जाने को तब सही ठहराया जा सकता था जब निर्देशक ने पीड़ित को दोष देने की प्रवृति, जिससे पूरा देश प्रभावित है, नहीं दिखाई होती। उन्होंने कहा, ‘‘आप कहेंगे कि आपने फिल्म की शुरूआत में बता दिया था कि आपकी फिल्म सती या जौहर प्रथा का समर्थन नहीं करती।’’ स्वरा ने कहा कि ‘पद्मावत’ देखने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि वह एक महिला के तौर पर ‘योनि मात्र’ हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्म महिलाओं की उपलब्धियों को कमतर करके आंकती है।