सच्चे दिल से की गई मेहनत कभी असफल नहीं होती: मीना गुप्ता

देहरादून। दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जिंदगी में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। जो अपनी जिंदगी में एक लक्ष्य बनाकर चलते हैं और उसे हासिल करने के लिए खूब मेहनत करते हैं। एक रोज उनकी यह मेहनत रंग लाती है और सफलता उनके कदम चूमती है। ऐसी ही एक शख्सियत से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।

जी हां, हम बात कर रहे हैं मॉडलिंग के क्षेत्र में तेजी से अपनी पहचान बनाने वाली मीना गुप्ता की। देहरादून के क्लेमेंटटाउन क्षेत्र में जन्मी मीना गुप्ता की परवरिश उनके पिता विशराम गुप्ता एवं माता उर्मिला गुप्ता ने बड़े ही प्यार से की। मीना गुप्ता ने प्रारंभिक शिक्षा सेंट पॉल्स हाई स्कूल क्लेमेंटटाउन एवं इंटर तक की शिक्षा डीके इंटर कॉलेज से प्राप्त की। इसके पश्चात देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।

यदि उनके शौक की ही बात की जाए तो बचपन से ही मीना गुप्ता को एक्टिंग और मॉडलिंग का शौक था, जिसके चलते इन्होंने कॉलेज टाइम से ही एक्टिंग और मॉडलिंग की शुरुआत कर दी थी। मीना गुप्ता ने मॉडलिंग के क्षेत्र में अपने पैर जमाने के लिए कई ऑडिशन दिए जिसके बाद आखिरकार “फाइव फेंस एंटरटेनमेंट ऑर्गेनाइजेशन” टीम की तरफ से उन्हें पहला ब्रेक मिला। इस टीम के सहयोग से उन्होंने देहरादून में मिस्टर एंड मिस देहरादून 2019 नामक प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया और उन्होंने अपने पहले ही शो में टॉप फाइव में जगह बनाने में कामयाबी हासिल की। साथ ही मिस कॉन्फिडेंस 2019 का खिताब भी जीता।

उनके मॉडलिंग कैरियर का सफर यहीं नहीं थमा। इसके बाद उन्होंने “मिस्टर एंड मिस उत्तराखंड नेक्स्ट सुपर मॉडल 2019” नामक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसका आयोजन “केडी इवेंट” के द्वारा किया गया था। इसमें प्रतिभाग करके उन्होंने फर्स्ट रनर अप 2019 का खिताब हासिल किया।

यदि उनके संघर्ष की ही बात की जाए तो यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने बताया कि “मैं ऐसी जगह से ताल्लुक रखती हूं जहां लड़कियों को मॉडलिंग व एक्टिंग के क्षेत्र में बढ़ावा नहीं दिया जाता और जल्द ही उनकी शादी कर दी जाती है।” उन्होंने कहा कि हमारे आसपास के एवं समाज के लोगों का यही मानना है कि लड़कियों की जिंदगी शादी तक ही सीमित रहनी चाहिए। यही नहीं लड़कियों को खुलकर सपने देखने एवं ज़िन्दगी जीने के लिए किसी से खुलकर बात करने का भी अधिकार नहीं दिया जाता, वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक लड़की है। ऐसी धारणा को पीछे छोड़कर और लोगों की आलोचना की परवाह किए बगैर यहां तक पहुंचना अपने आप में किसी मिसाल से कम न था। फिर यहां तक पहुंच कर टाइटल को अपने नाम करना संघर्ष की दूसरी सीढ़ी थी।

उन्होंने बताया कि नई जगह, नए लोग व नई सोच। अपने आप को उनके अनुसार ढालना काफी कठिन था लेकिन मीना गुप्ता के मन में कुछ कर गुजरने का जुनून था और सच्चे दिल से की गई मेहनत कभी असफल नहीं होती। उनका मानना है कि किसी भी काम को करने के लिए मेहनत और संघर्ष जरूरी होता है जो आपको आने वाले समय के लिए और अधिक मजबूत बनाता है।

उन्होंने कहा कि जैसे बरसात के बाद मौसम सुहाना हो जाता है ठीक उसी प्रकार मेहनत करने के बाद सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने बताया कि यही मेहनत और संघर्ष करने के लिए वह हमेशा तैयार रहती हैं। अपनी भावी योजनाओं के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि वे एक्टिंग और मॉडलिंग के क्षेत्र में ही अपना नाम बनाना चाहती हैं और आगे बढ़ना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर अवसर मिलता है तो वे जरूर एक्टिंग करना चाहेंगी।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “मैं अपना रोल मॉडल सर्वप्रथम अपने माता पिता को मानती हूं क्योंकि मैं अपने माता-पिता के संघर्ष और मेहनत को देखकर ही बड़ी हुई हूं।” उन्होंने बताया कि उनके परिवार में चार बेटियां और दो बेटे होने के बाद एवँ बड़ी बेटी की शादी के पश्चात दूसरी बेटी इस फिल्म में कुछ करना चाहती थी लेकिन किसी की परवाह न करते हुए उनके माता-पिता ने उन्हें अपना सपोर्ट प्रदान किया और हमेशा उनका सहयोग उन्हें मिलता रहता है। एक बड़ा परिवार होने के बावजूद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को समझा।

यदि एक्टिंग के क्षेत्र में रोल मॉडल की ही बात की जाए तो उन्होंने कंगना रनौत को अपना रोल मॉडल बताया। मीना गुप्ता ने बताया कि वह सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने में भी काफी रुचि रखती हैं। इसके लिए वे “अपने सपने” नामक एक संस्था से भी जुड़ी हुई हैं। यहां पर वे गरीब बच्चों की शिक्षा पर काम करती हैं। उन्होंने बताया कि आज के समय में शिक्षा बेहद जरूरी है किंतु गरीब और बेसहारा बच्चों को शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती। इस संस्था के साथ जुड़कर वे जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए कार्य करती हैं।

इसके साथ ही वे डांसिंग व एक्टिंग जैसे कार्यो पर भी समय-समय पर अपना समय देती हैं। उनका मानना है कि ‘पढ़ेगा इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया और तभी कुछ करेगा इंडिया।’ मीना गुप्ता का जज्बा वाकई काबिले तारीफ है। उनके इस हौसले और जज्बे की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम ही है। उनके साहस को सलाम।

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