एम्स में मरीजों के लिए बेडों की संख्या बढ़ाकर किया रिजर्व

एम्स में मरीजों के लिए बेडों की संख्या बढ़ाकर किया रिजर्व

मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या के चलते विशेषज्ञ डॉक्टरों की अब दो टीम बनाई गई है। यह टीमें प्रतिदिन दस से 12 ऑपरेशन करने में सक्षम हैं। वह बताते हैं कि यह संक्रमण नाक व साइनस से शुरू होता हुआ शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगता है। इसके उपचार में शरीर में बेजान और संक्रमित ऊतकों को निकाला जाता है, इसलिए कुछ मरीज अपनी ऊपरी दाड़ और आंखें खो बैठते हैं। इसके उपचार में 3 से 6 सप्ताह तक नसों का एंटी-फंगल उपचार भी शामिल है।

ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए एम्स में 100 बेड तैयार किए गए हैं। इनमें आईसीयू सुविधा वाले 10 बेड भी शामिल हैं। इलाज के लिये विशेषज्ञ डॉक्टरों की दो टीमें बनाई गई हैं। यह टीमें प्रतिदिन 10 से 12 सर्जरी कर रही हैं। सर्जरी के लिये तीन ऑपरेशन थिएटर आरक्षित किये गये हैं। एम्स में भर्ती मरीजों की संख्या के अनुरूप दवा की पर्याप्त व्यवस्था के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है। अस्पताल प्रशासन एम्स के डीन प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने बताया कि एम्स में मरीजों के लिये के लिये समुचित व्यवस्था की गई है।

घातक होने के कारण यह संक्रमण पूरे शरीर पर बुरा असर छोड़ता है। म्यूकर माइकोसिस ट्रीटमेन्ट टीम के हेड और ईएनटी विभाग के सर्जन डा. अमित त्यागी ने कहा कि शुगर के मरीजों के लिए इस बीमारी से विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है। वह बताते हैं कि म्यूकर माइकोसिस एक दुर्लभ तरह का फंगस है। यह नाक के द्वारा या चोट से आए घाव और खरोंच के जरिए शरीर में ज्यादा तेजी से फैलता है। उन मरीजों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है।

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