उत्तराखंड प्रदेश में पुलिस विभाग में निजीकरण की कवायद शुरू

उत्तराखंड प्रदेश में पुलिस विभाग में निजीकरण की कवायद शुरू

हर विभाग की तरह पुलिस विभाग में भी तमाम ऐसे काम और सेवाएं हैं, जो कानून व्यवस्था, यातायात और अपराध नियंत्रण से अलग हैं। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी इनमें व्यस्त रहते हैं।

पुलिस विभाग में भी निजीकरण की तैयारी है। विभाग की कुछ सेवाएं आउटसोर्स पर दी जा सकती हैं। केंद्र के प्रस्ताव के बाद पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में केंद्र को सुझाव भेज दिए हैं। इस मामले में अंतिम निर्णय केंद्र के स्तर से ही होना है।

ऐसे में केंद्र ने पुलिस विभाग की कुछ सेवाएं और काम निजी हाथों में देने का प्रस्ताव बनाया है। इसके लिए सभी राज्यों से सुझाव मांगे गए हैं। उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने भी डाक, समन तामील, पासपोर्ट वेरिफिकेशन, सीसीटीवी कंट्रोल रूम, पुलिस परीक्षा सहित तमाम कई सेवाएं आउटसोर्स करने का सुझाव केंद्र को भेजा है।

इन कामों के आउटसोर्स होने से पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था, यातायात और अपराध नियंत्रण पर फोकस कर पाएंगे। साथ ही उन पर काम का लोड भी कम होगा। इस संबंध में डीजी कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि केंद्र ने प्रस्ताव मांगे थे।

जो काम आउटसोर्स से किए जा सकते हैं उनकी एडवायजरी केंद्र को भेज दी है। केंद्र को इसे लागू करना है, लेकिन राज्यों को इसमें अपने अनुसार बदलाव की छूट दी जाएगी। अगर लागू होता भी है तो फिलहाल नौकरियों पर असर नहीं पड़ेगा।

कम होंगी नौकरियां 

इस प्रस्ताव पर अमल हुआ है तो विभाग में नौकरियां घटेंगी। विभाग के कुछ काम आउटसोर्स होने से ज्यादा स्थायी कर्मियों की जरूरत नहीं होगी। इससे एक तो पद नहीं बढ़ेंगे, दूसरा भर्तियों में भी कमी आएगी। कुछ काम बाहरी एजेंसी को देने से विभाग की गोपनीयता भी भंग हो सकती है।

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