मनरेगा में अब अपना काम-धंधा भी कर सकेंगे लोग

मनरेगा में अब अपना काम-धंधा भी कर सकेंगे लोग

आजीविका पैकेज लागू करने वाला देश का पहला राज्य उत्तराखंड हो गया है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से सहमति मिलने के बाद अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने यह आदेश जारी किया है। आजीविका पैकेज के तहत मनरेगा और विभागीय योजनाओं को जोड़ते हुए कई पैकेज बनाए गए हैं।

प्रदेश सरकार के स्तर से मनरेगा में आजीविका पैकेज का मॉडल लागू करने का आदेश जारी कर दिया गया है। इस आदेश के लागू होने से मनरेगा में अब जॉब कार्ड धारक मजदूरी के अलावा स्वरोजगार के तहत अपना काम धंधा कर सकेंगे और इसमें सभी विभाग उनकी मदद करेंगे।

मनरेगा में पहले से ही स्वरोजगार के लिए मदद की जाती रही है। मसलन अगर मुर्गी बाड़ा बनाने में दस हजार खर्च हो रहे हैं। तो सात हजार मनरेगा से निर्माण सामग्री के लिए और तीन हजार रुपये मजदूरी होती है। मुसीबत ये है कि इसमें चूंजों को खरीदने की कोई व्यवस्था नहीं होगी।

30 हजार परिवारों को लाभ देने का है लक्ष्य

अब आजीविका पैकेज के तहत संबंधित विभाग आर्थिक गतिविधि को शुरू करने का पूरा पैकेज देगा। आदेश के तहत अधिकतम 99 हजार तक का लाभ दिया जा सकेगा। जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी इसकी हर माह समीक्षा करेंगे और शासन स्तर पर हर तिमाही समीक्षा होगी।

योजना के तहत प्रदेश के तीस हजार परिवारों को पहले चरण में शामिल किया जाना है। मनरेगा के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम के मुताबिक परिवारों का आर्थिक पैकेज इस तरह का होगा कि वे छह माह तक आसानी से परिवार का भरण पोषण कर सकें।

योजना में भूमिहीन सहित एक नाली से लेकर दस नाली और इससे अधिक जमीन की उपलब्धता के पैकेज हैं। हर पैकेज में एक या एक से अधिक काम शुरू करने पर सहायता का प्रावधान हैं। योजना के तहत हर लाभार्थी को दस फलदार पेड़ों की पौध जरूर दी जाएगी। इसको पोषण वाटिका का नाम दिया गया है।

प्रवासियों पर फोकस

योजना की खास बात ये है कि यह प्रवासियों को देखते हुए शुरू की गई है। मनरेगा में इस समय पिछले साल की तुलना में ढाई लाख लोग अधिक जुड़े हैं और इसमें अधिकतर प्रवासी ही हैं।

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