प्राइवेट अस्पतालों में अब आसानी से मिल सकेगा कैशलेस इलाज
सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स में इससे खासी नाराजगी थी और वे लगातार सीजीएचएस दरों पर भुगतान की मांग कर रहे थे। कर्मचारियों का कहना था कि यदि सरकार दरों में इजाफा नहीं कर सकती तो इस योजना को बंद कर पूर्व की भांति प्रतिपूर्ति की व्यवस्था लागू कर दिया जाए। कैशलेस योजना के तहत कर्मचारियों व पेंशनर्स से मासिक प्रीमियम लिया जाता है। लेकिन इलाज न मिलने से उन्हें भारी परेशानी हो रही थी। अब कैबिनेट के इस फैसले से उन्हें बड़ी राहत मिल जाएगी।
उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों को अब आसानी से कैशलेस इलाज मिलेगा। कैबिनेट ने राज्य स्वास्थ्य योजना के तहत प्राइवेट अस्पतालों को सीजीएचएस दरों पर भुगतान की मंजूरी दे दी है। कैबिनेट के इस फैसले से राज्य के पांच लाख के करीब सरकारी कर्मचारी, पेंशनर्स और उनके आश्रितों को सीधा लाभ मिलेगा। सरकार ने इस साल फरवरी में कर्मचारी पेंशनर्स के लिए कैशलेस योजना शुरू की थी। लेकिन इलाज की दर कम होने की वजह से अधिकांश प्राइवेट अस्पताल योजना के तहत इलाज से इंकार कर रहे थे।
सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कैबिनेट फैसलों की ब्रीफिंग के दौरान बताया कि कैशलेस योजना की दरों को सीजीएचएस के समान किए जाने से अब इलाज के बदले अस्पतालों को पहले की तुलना में तीन से चार गुना तक अधिक भुगतान होगा। विदित है कि अभी तक कर्मचारी पेंशनर्स के इलाज में भी प्राइवेट अस्पतालों को आयुष्मान के रेट दिए जा रहे थे। अस्पताल इलाज से आनाकानी कर रहे थे। अब यह समस्या नहीं होगी।
सुबोध उनियाल ने बताया कि यदि योजना के तहत किसी मरीज को किसी ऐसे प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ता है जो योजना के तहत संबद्ध नहीं है तो इलाज के बदले मरीज के बिलों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति की भी व्यवस्था रहेगी। इस सुविधा से मरीजों को गंभीर बीमारियों के मामलों में बड़ी राहत मिल जाएगी।
आयुष्मान योजना के तहत ही कर्मचारियों की कैशलेस इलाज की योजना के लिए भी सरकार ने देशभर में 22 हजार से अधिक अस्पतालों के साथ करार किया है। लेकिन आयुष्मान योजना में इलाज की दर कम होने से कर्मचारियों को परेशानी हो रही थी। अब सरकार ने इलाज के लिए सीजीएचएस की दर लागू करने को मंजूरी दी है।
सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि यदि कोई कर्मचारी या पेंशनर्स कैशलेस इलाज की योजना के तहत एम्स में इलाज कराता है तो वहां मरीज के इलाज का बिल एम्स की दरों पर ही भुगतान किया जाएगा। ऐसे में कर्मचारी के इलाज में किसी तरह की देरी या परेशानी न हो इसके लिए यह निर्णय लिया गया है।