तराई बीज विकास निगम की ओर से बीजों के रेट में की गई बढ़ोत्तरी को सरकार ने एक साल के लिए स्थगित कर दिया है। बुधवार को कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने यमुना कालोनी स्थित अपने आवास पर विभागीय अधिकारियों की बैठक में लॉकडाउन के दौरान कृषि और बागवानी कार्यों को संचालित करने की समीक्षा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि किसानों को बीज पर दी जाने वाले 50 प्रतिशत सब्सिडी को बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जाएगा।
कोरोना महामारी से लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड सरकार ने किसानों को राहत दी है। उन्नत बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी को 25 प्रतिशत और बढ़ाने का फैसला लिया गया है। अब प्रदेश में किसानों को बीज खरीद पर 50 प्रतिशत की जगह 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।
इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सहमति दे दी है। इसके अलावा कृषि ऋण की सीमा बढ़ाने का फैसला शीघ्र राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में लिया जाएगा। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में परंपरागत फसलों के बीजों को प्रमाणीकरण को मान्यता नहीं थी। प्रदेश सरकार की ओर से लगातार इस मामले को केंद्र के समक्ष उठाया गया। अब केंद्र ने परंपरागत बीजों को मान्यता दे दी है। बैठक में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव कृषि एवं उद्यान आर. मीनाक्षी सुंदरम, निदेशक कृषि गौरीशंकर समेत कृषि, उद्यान, रेशम विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
फूलों और मशरूम को सबसे ज्यादा नुकसान
प्रदेश में लॉकडाउन के चलते सबसे ज्यादा नुकसान फूलों की खेती और मशरूम उत्पादन को हुआ है। किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए मानक निर्धारित कर केंद्र को शीघ्र प्रस्ताव भेजा जाए।
सहकारी संघ के माध्यम से होगी जैविक उर्वरकों की आपूर्ति
प्रदेश के 10 जैविक विकासखंडों में सहकारी संघ के माध्यम से आर्गेनिक उर्वरकों की आपूर्ति की जाएगी। कृषि मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि तत्काल सचिव सहकारिता को आपूर्ति का प्रस्ताव भेजा जाए।
किसान बही व उद्यान कार्ड को माना जाए पास
लॉकडाउन में किसानों को खेती किसानी के कार्य के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से पास जारी करने की व्यवस्था की गई है। इसमें किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कृषि मंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसान बही और उद्यान कार्ड को पास के रूप में मान्य किया जाए।
स्वयं सहायता समूह के माध्यम से संचालित होंगे आपणु बाजार
स्थानीय किसानों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए आपणु बाजार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संचालित किए जाएंगे। प्रत्येक आपणु बाजार को उत्तराखंड बीज प्रमाणीकरण एजेंसी के माध्यम से दो लाख रुपये की धनराशि दी जाएगी। जबकि स्थायी निर्माण कार्य के लिए मंडी परिषद से विकास सेस का पैसा दिया जाएगा।