रोजगार की अधिक से अधिक करें व्यवस्था
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए करीब 51 हजार करोड़ रुपये का बजट तैयार किया था। इसमेें से करीब 11 हजार करोड़ रुपये योजनाओं के लिए रखे गए थे। प्रदेश सरकार का राजस्व व्यय करीब 42 हजार करोड़ रुपये आंका गया था। कोविड-19 के कारण लॉकडाउन से अनुमान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इस पर सरकार ने विभागों से भी पचास प्रतिशत बजट का उपयोग महामारी से लड़ने के लिए करने को कहा है।
उत्तराखंड में पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में गठित समिति ने सरकार को वर्ष 2020-21 के बजट को फिर से परखने का सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि सरकार को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने वाली योजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इतना होने के बाद अब आर्थिक मामलों को लेकर पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में बनाई गई समिति ने सरकार को बजट फिर से परखने को कहा है। समिति ने कहा है कि सरकार देखे कि प्रदेश में अधिक से अधिक रोजगार सृजन वाली कौन-कौन सी योजनाएं हैं। इन योजनाओं को बजट में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लॉकडाउन खत्म होने पर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को अधिकतम खर्च इसी तरह की योजनाओं पर करना होगा।
परेशानी ये है कि सरकार का स्वास्थ्य पर बजट शिक्षा की तुलना में बहुत ही कम है। अब सरकार को स्वास्थ्य के लिए ही अधिक से अधिक बजट की व्यवस्था करनी पड़ रही है। दूसरी ओर, पूंजी की बजाय राजस्व व्यय अधिक है। मतलब यह कि सरकार को योजनाओं पर कम और कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक वचनबद्ध खर्च या वेतन आदि पर होने वाले खर्च में कमी नहीं की जा सकती। इसके बावजूद नई योजनाओं के लिए भी बजट की व्यवस्था की जा रही है। पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे का कहना है कि रोजगार के अवसर जितने ज्यादा होंगे, प्रदेश की अर्थव्यवस्था उतनी ही जल्दी पटरी पर आएगी।
प्रदेश में बेरोजगारी भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। इस समय प्रदेश में आठ लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं। लॉकडाउन के कारण बेरोजगारों की संख्या में और इजाफा हुआ है।