उत्तराखंड के हर जिले में बनेगी मधु क्षेत्र पंचायत

उत्तराखंड के हर जिले में बनेगी मधु क्षेत्र पंचायत

वर्तमान में राज्य में पांच हजार से अधिक मौनपालक शहद का उत्पादन कर रहे हैं। लगभग 2200 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हो रहा है। प्रदेश की जलवायु और प्राकृतिक वनस्पतियों को देखते हुए यहां पर साल भर शहद का उत्पादन किया जा सकता है। सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और रोजगार के लिए मौनपालन पर फोकस किया है।

उत्तराखंड में शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है। जिसमें प्रत्येक जिले में एक न्याय पंचायत मधु क्षेत्र पंचायत बनाई जाएगी। चयनित न्याय पंचायत में एक लाख किलो शहद उत्पादन का लक्ष्य रहेगा। जिससे पंचायत में ही शहद की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग यूनिट लगाई जाएगी।

इसके लिए प्रत्येक जिले में एक न्याय पंचायत को शहद उत्पादन के लिए मधु क्षेत्र पंचायत बनाएंगे। इस पंचायत में एक लाख किलो तक शहद उत्पादन करने का लक्ष्य रखा जाएगा। पंचायत में ही शहद को प्रोसेसिंग व पैकेजिंग करने की इकाईयां स्थापित की जाएंगी। सरकार की ओर से ज्यादा शहद उत्पादन करने वाली एपिस सिराना इंडिका व इटेलियन एपिस मैलीफेरा मधुमक्खियां मौनपालकों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।

उत्तराखंड के शहद की मांग अधिक

उत्तराखंड में उत्पादित शहद आर्गेनिक है। बाजार में इस शहद की काफी मांग है। सरकार का मानना है कि प्रदेश में शहद उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं। मौनपालन व्यवसाय लोगों की आजीविका का बड़ा जरिये बन सकता है। वहीं, मधुमक्खियों से परागण प्रक्रिया से फलों व सब्जियों की उत्पादकता बढ़ेगी।

राज्य में आर्गेनिक गुणवत्ता का शहद निर्यात किया जाता है। सालाना 200 करोड़ का शहद दूसरे क्षेत्रों को भेजा जाता है। आर्गेनिक शहद की बाजार में काफी मांग है, लेकिन उस हिसाब से उत्पादन कम है।

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