केंद्रीय श्रम मंत्रालय को यूनियनों के अलावा कुछ कर्मचारियों की व्यक्तिगत शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि एक सरकारी कंपनी के लिए कांट्रैक्ट पर सेवाएं देने वाली उनकी कंपनी ने अब तक अनेक कर्मचारियों को मार्च का वेतन नहीं दिया है। पूछने पर लॉकडाउन का हवाला देकर मार्च का वेतन रोके जाने अथवा एक हफ्ते का वेतन काट कर देर से दिए जाने की बातें की जा रही हैं।
लॉकडाउन के नाम पर कर्मचारियों तथा मजदूरों को मार्च का पूरा वेतन देने में आनाकानी करने वाली बैंकिंग व बीमा कंपनियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के साथ अनुबंध पर कार्य करने वाली इकाइयों और कांट्रैक्टर्स पर केंद्र सरकार का शिकंजा कस सकता है । इस संबंध में श्रम मंत्रालय की ओर से केंद्रीय श्रमायुक्त को केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाली समस्त इकाइयों के बारे में शिकायतों पर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार श्रम मंत्री संतोष गंगवार के निर्देश पर कार्यालय में विशेष कंट्रोल रूम बनाया गया है। एक सूत्र ने कहा कि आमतौर पर इकाइयों में हर माह की 10 तारीख तक वेतन दे दिया जाता है। लॉकडाउन के कारण इस बार 15 अप्रैल तक मार्च का वेतन दिए जाने की छूट दी जा सकती है। लेकिन यदि इसके बाद भी शिकायत मिलती है तो कार्रवाई होगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की घोषणा करते वक्त सभी कंपनियों से लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों का वेतन न काटने की अपील की थी।