प्रदेश में ‘ला नीना’ की वजह से पड़ सकती है कड़ाके की ठंड
पंतनगर कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक डॉ.आरके सिंह ने बताया है कि अक्तूबर का औसत अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। लेकिन, इस साल अक्तूबर अंतिम सप्ताह का न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
सर्दी ने अभी से दस्तक देनी शुरू कर दी है। अक्तूबर अंतिम सप्ताह में ही मौसम का न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री नीचे चला गया है। शाम होते ही मौसम में ठंडक बढ़ जा रही है। रातें भी ठंडी होनी शुरू हो गई हैं। पंतनगर कृषि विश्विद्यालय के मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना व्यक्त की है।
इससे पहले साल 2012 में अक्तूबर का न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस से नीचे गया था। डॉ.आरके सिंह ने बताया कि तीन डिग्री तापमान में गिरावट होने से रातें ठंडी होनी शुरू हो गई हैं। घरों में पंखे चलने तक बंद हो गए हैं। उन्होंने आने वाले दिनों में और ठंड बढ़ने की संभावना व्यक्त की है।
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ.आरके सिंह ने बताया है कि इस बार ‘ला नीना’ प्रभाव के चलते कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। डॉ.सिंह ने बताया कि यह आम धारणा रहती है कि जलवायु में परिवर्तन से तापमान बढ़ता है। लेकिन, यह सही नहीं है।
मौसम वैज्ञानिक डॉ.आरके सिंह ने बताया कि ‘ला नीना’ और ‘अल नीनो’ एक समुद्री प्रक्रिया है। ला नीना के तहत समुद्र में पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है। समुद्री पानी पहले से ही ठंडा होता है, लेकिन इसके कारण उसमें ठंडक और बढ़ती है। इसी का असर हवाओं पर पड़ता है। जबकि एल नीनो में इसके विपरीत होता है। यानी समुद्र का पानी गरम होता है और उसके प्रभाव से गर्म हवाएं चलती हैं। दोनों ही क्रियाओं का असर सीधे तौर पर भारत के मॉनसून पर पड़ता है।