देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षा के हालात कुछ ठीक नहीं है। एक ओर जहां स्कूलों में छात्रों की घटती संख्यां चिंता का सबब बन रही है, तो वहीं दूसरी तरफ बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपनी मांगों को मनवाने में लगे हुए हैं। दरअसल, प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तेजी से घटती छात्रसंख्या ने शिक्षकों की नई नियुक्तियों में अड़ंगा लगा दिया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि छात्र और शिक्षकों के संख्या का आनुपातिक आकलन होगा। इस संख्या को लेकर सरकार श्वेत पत्र जारी करेगी। जिन विद्यालयों में छात्रसंख्या घटने से शिक्षक अधिक संख्या में हैं, उन्हें अन्यत्र विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। शिक्षा मित्रों को औपबंधिक नियुक्ति देने पर फैसला भी रिक्त पदों की सही संख्या आने के बाद किया जाएगा।
राज्य बनने के बाद से अब तक प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक सरकारी विद्यालयों में छात्रसंख्या घट चुकी है। खासतौर पर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या में तेजी से गिरावट आई है। प्राथमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या 50 फीसद तक घट गई है, जबकि 20 हजार से ज्यादा छात्रसंख्या उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम हुई है। वहीं इस अवधि में शिक्षकों के पद बढ़े भी हैं और बड़ी संख्या में भरे भी गए हैं। अब हालत ये है कि शिक्षा के अधिकार एक्ट के तहत प्राथमिक विद्यालयों में छात्र व शिक्षक अनुपात 30:1 होना चाहिए, लेकिन राज्य में यह अनुपात 19:1 हो चुका है।
यानी शिक्षा महकमे के आंकड़ों के मुताबिक अब 19 छात्रों पर एक शिक्षक कार्यरत है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने मंगलवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि शिक्षक व छात्रसंख्या अनुपात पर सरकार श्वेत पत्र जारी करेगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों के नए पदों पर नियुक्तियां संभव नहीं हैं। रिक्त पदों की स्थिति सामने आने के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार दस से कम छात्रसंख्या वाले करीब 600 प्राथमिक विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में विलीन करने का निर्णय ले चुकी है। इन विद्यालयों के शिक्षकों को अन्यत्र शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रसंख्या की वस्तुस्थिति सामने आने पर शिक्षकों के पदों में कटौती के बारे में फैसला लिया जाएगा। शिक्षा मित्रों को औपबंधिक नियुक्ति देने की मांग पर उन्होंने कहा कि प्रदेश के साढ़े सोलह हजार से अधिक शिक्षकों पर अप्रशिक्षित होने की वजह से खतरा मंडरा रहा है। वहीं शिक्षा मित्रों को भी प्रशिक्षित शिक्षकों के दर्जे के लिए टीईटी व अन्य अर्हताएं पूरी करनी होंगी।
बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के तेवर तल्ख
बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों ने अपने तेवर अब तल्ख कर लिए हैं। उनका कहना है कि शारीरिक शिक्षा के लिए प्राइमरी से लेकर दसवीं तक गाइडलाइन तैयार की जा चुकी है। जिसमें शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में राज्य सरकार इस पर तत्काल कार्रवाई करे।
मंगलवार को बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन के बैनर तले बेरोजगारों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ अपना प्रदर्शन जारी रखा। प्रदेश प्रभारी अर्जुन लिंगवाल ने कहा कि सरकार बेरोजगारों के भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है। जिसे लेकर प्रशिक्षित बेरोजगारों में मायूसी और आक्रोश है। लिंगवाल ने कहा कि तय गाइड लाइन के अनुरूप प्रदेश सरकार शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति करे। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर शीघ्र ही शिक्षा मंत्री से मिलेंगे। साथ ही वर्षवार नियुक्ति की भी मांग रखेंगे। इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र खत्री, मीडिया प्रभारी सुमन सिंह नेगी, प्रदेश सचिव बॉबी तोमर, प्रदेश कोषाध्यक्ष अनिल राज, अतुल कुमार ध्यानी आदि मौजूद रहे।
प्राथमिक शिक्षक संघ का चुनाव 18-19 सितम्बर को
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी के चुनाव का बिगुल बज चुका है। मंगलवार को रेसकोर्स स्थित पदम सिंह प्राथमिक शिक्षक भवन में आयोजित बैठक में तिथि तय की गई। यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश का निर्वाचन 18 व 19 सितम्बर को होगा। इस दौरान सभी सदस्यों ने संघ में अनुशासन को जरूरी बताते हुए संगठनात्मक एकता पर जोर दिया।
संगठन की प्रांतीय अध्यक्ष निर्मला महर ने कहा कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षित 16 हजार शिक्षकों के लिए वह हर कुर्बानी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द इस मामले का समाधान करे। संगठन इस मामले में सरकार के वायदे पर विश्वास कर चुप है। हर स्तर पर सकारात्मक जवाब मिला है, लेकिन शिक्षक जल्द समाधान चाहते हैं। बैठक में उन शिक्षकों पर कार्रवाई का निर्णय लिया गया जो संगठन विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। यह भी तय किया गया कि आरटीई मानकों से हटकर शिक्षकों के समायोजन के विरुद्ध न्यायिक लड़ाई लड़ी जाएगी। प्रदेश महामंत्री दिग्विजय चौहान ने प्रांतीय कार्यक्रमों, एआइपीटीएफ के संघर्ष कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। बैठक में संरक्षक प्रेम सिंह गुसाईं, कोषाध्यक्ष विनोद उनियाल, उपाध्यक्ष हंसादत्त भïट्ट आदि उपस्थित रहे।