‘कण्वनगरी’ के नाम से होगी कोटद्वार शहर की पहचान
महर्षि कण्व वैदिक काल के ऋषि थे और इनके ही आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ। कहा जाता है कि कोटद्वार के पास महर्षि ने तपस्या की थी। इसके बाद से यह क्षेत्र कण्वाश्रम के नाम से जाने लगा।
कोटद्वार को अब कण्वनगरी के नाम से जाना जाएगा। को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोटद्वार शहर के नाम परिवर्तन को मंजूरी दे दी। नगर निगम कोटद्वार क्षेत्र में यह प्रभावी होगा। दरअसल, सरकार ने बीते वर्ष सितंबर में पत्र भेज नगर निगम बोर्ड से कोटद्वार का नाम कण्वनगरी करने का प्रस्ताव मांगा था, तब मेयर हेमलता नेगी की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। नगर निगम बोर्ड में कांग्रेस का दबदबा है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी हेमलता मेयर हैं। यहां भाजपा-कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के चलते बोर्ड ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया। अब सीएम ने अधिकारों का प्रयोग करके नाम परिवर्तन की मंजूरी दे दी है।